Operating System-Type -Need & Useful Work(2023)

Operating System-Type -Need & Useful Work(2023).यह ब्लॉग बीएससी फर्स्ट इयर के मेजर सेकंड पेपर/माइनर/ओपन इलेक्टिव विषय की यूनिट थर्ड कंप्यूटर for chemist का हैं ।इसके लिए नीचे प्रश्न दिए जा रहे हैं,जिसके आधार पर इस ब्लॉग में उत्तर मिलेगा ।
Operating System-Type -Need & Useful Work(2023)
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकारों एवं आवश्यकताओं को समझाइये।एवं कार्य लिखिए।
ऑपरेटिंग सिस्टम मुख्य पाँच प्रकार के होते हैं-
1. सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम,
2. मल्टीयूजर/मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम,
3. मल्टी प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम,
4. रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम,
5. बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम ।
1. सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम (Single user operating system)—Operating System
सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम वह ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जिसमें केवल एक प्रोग्राम एक बार में क्रियान्वित होता है इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम को हम सिंगल यूजर/सिंगल टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम भी कहते हैं। उदाहरण- DOS आदि ।
2. मल्टीयूजर/मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multiuser / Multitasking operating system) •
मल्टीयूजर/मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम वह ऑपरेटिंग सिस्टम है जो एक से अधिक उपयोगकर्ताओं को एक से अधिक प्रोग्राम को चलाने की अनुमति देता है। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम का आमतौर पर प्रयोग तब होता है जब नेटवर्क पर कार्य कर रहे होते हैं। उदाहरण- UNIX, LINUX आदि ।
3.मल्टीप्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multiprocessing operating system)—
मल्टी- प्रोसेसिंग में दो या दो से अधिक Processor एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। इसमें एक ही समय में एक से अधिक निर्देश विभिन्न प्रोसेसरों में क्रियान्वित किये जाते हैं या एक के बाद एक क्रियान्वयन किया जाता है जो कि एक ही में प्रोग्राम से प्राप्त हुए हों ।
मल्टीप्रोसेसिंग में कम्प्यूटर की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
4. रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम (Real time operating system)—Operating System
रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम तेज तथा अपेक्षाकृत छोटे ऑपरेटिंग सिस्टम होते हैं इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम अक्सर इन्बेडेड होते हैं तथा केवल एक ही कार्य के लिए डिजाईन किये गये होते हैं। इनका उपयोग सामान्यतः मेडिकल जाँच उपकरण, लाइफ सपोर्ट सिस्टम, वैज्ञानिक उपकरण, औद्योगिक रोबोट तथा मोबाइल फोन जैसे उपकरणों में
होता है।
5. बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Batch process- ing operating system)—
बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम में समान आवश्यकताओं वाली जॉब्स का एक साथ बैच बनाकर फिर उन्हें Batch-wise के द्वारा क्रियान्वित कराया जाता था।
अतः प्रोग्रामर अपने प्रोग्राम ऑपरेटर को देते थे। ये ऑपरेटर उन्हें बैच में व्यवस्थित कर, प्रत्येक को क्रियान्वित कराते थे।
बैच सिस्टम के दोष (Drawbacks of Batch system)
- प्रोसेस के क्रियान्वयन के दौरान यूजर एवं प्रोसेस में कोई इन्टरेक्शन नहीं हो सकता था।
- टर्न अराउन्ड (Turn-around) का समय अधिक होना ।
- CPU अक्सर Idle रहता था ।
ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता -Operating System
ऑपरेटिंग सिस्टम ऐसा पहला सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर के आरंभ होने के बाद लोड होता है कम्प्यूटर सिस्टम के बूटिंग के लिए यह एक अत्यंत आवश्यक सॉफ्टवेयर है यह न केवल कम्प्यूटर सिस्टम की बूटिंग के लिए बल्कि दूसरे एप्लीकेशन (Application) सॉफ्टवेयर और यूटिलिटी सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए भी आवश्यक होता है।
Operating System :
एक ऑपरेटिंग सिस्टम कई प्रोग्रामों का सुनियोजित समूह होता है जो कम्प्यूटर से जुड़े हुए विभिन्न •उपकरणों का प्रबंधन तथा सभी प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है ।
ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य उद्देश्य किसी कम्प्यूटर सिस्टम की दक्षता और उपयोगिता में वृद्धि करना होता है।
हम कह सकते हैं कि ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर का मास्टर कंट्रोल प्रोग्राम है जो कि कम्प्यूटर को रन करता है तथा उसकी विभिन्न प्रक्रियाओं को नियंत्रित करके संचालित करता है। जब कम्प्यूटर को चालू किया जाता है तब सर्वप्रथम मेमोरी में ऑपरेटिंग सिस्टम ही लोड होता है । मुख्य रूप से Dos, Windows, Linux, Unix ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण है।
ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर के Hardware तथा User के मध्य संपर्क समन्वय स्थापित कराता है। इसे हम उपयुक्त चित्र के द्वारा समझ सकते हैं।

ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किये जाने वाले कुछ कार्य निम्न हैं-
(i) I/O operations-
Run होते समय प्रोग्राम को I/O की आवश्यकता हो सकती है। ये VO किसी फाइल या I/O device से हो सकते हैं। I/O क्रिया के कार्यान्वयन, कन्ट्रोल और सुरक्षा का समस्त
कार्य operating system करता है।
(ii) Works as a resource allocator-Operating System
Multiprogramming और Multi-user सिस्टम में एक ही समय में कई सारे Resources को jobs के बीच शेयर करना होता है जो कार्य operating system के द्वारा नियमित किया जाता है।
(iii) File system manipulation-
इसमें फाइल से data को read या write करने तथा file को create या delete करने सम्बन्धी कार्य आते हैं।
(iv) Error detection-
ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर को लगातार हो सकने वाली त्रुटियों (errors) से सचेत करता है। ये error, CPU, memory हार्डवेयर डिवाइसों या I/O डिवाइसों में हो सकती है। ऑपरेटिंग सिस्टम की यह ड्यूटी है कि जब भी कोई error आये तो वह उसकी जानकारी message के माध्यम से को उपलब्ध करायें ताकि त्रुटि को दूर किया जा सके।
कई बार कम्प्यूटर में run होने वाली प्रोसेस को एक-दूसरे से Communi- cation की आवश्यकता होती है। यह कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा नियंत्रित किया जाता है। Communica- tion के लिए shared memory या message passing तकनीक का प्रयोग किया जाता है ।
(vi) Protection—System की बाहरी तत्वों से सुरक्षा भी आवश्यक है। इसके लिए यूजर आइडी
(user ID) व पासवर्ड आदि मैनेज किया जाता है।
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