Woodward-Fieser-Rule Kya Hain? λmax Determination 2023 Useful. यह ब्लॉग बीएससी प्रथम वर्ष माइनर/ओपन इलेक्टिव /मेजर सेकंड पेपर की 6th यूनिट का एक महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर हैं |
Woodward-Fieser-Rule Kya Hain? λmax Determination 2023 Useful
वुडवर्ड-फाइजर नियम के अनुसार, संयुग्मन के कारण ऐल्कीनों और कार्बोनिल यौगिकों का का अवशोषण उच्चिष्ठ लम्बी तरंगदैर्घ्य की ओर विस्थापित हो जाता है। विस्थापन अवशोषण उच्चिष्ठ (max) के m मान पर संयुग्मन के अतिरिक्त द्विआबन्ध पर प्रतिस्थापी समूहों की उपस्थिति तथा द्विबन्ध के त्रिविम विन्यास का न भी प्रभाव पड़ता है।

प्रतिस्थापी समूहों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक संक्रमण लम्बी तरंगदैर्घ्य की या ओर विस्थापित हो जाता है; जैसे – CH, – (CHCH), –CH में जब n = 1 या 2 होता है, तब यह से यौगिक UV क्षेत्र π- π* में संक्रमण प्रदर्शित करता है लेकिन जैसे-जैसे n का मान बढ़ता जाता है, इलेक्ट्रॉनिक संक्रमण दृश्य प्रकाश क्षेत्र की ओर विस्थापित हो जाता है।
स्पेक्ट्रोस्कोपी में विस्थापन को भी अवशोषण बैण्डों और तीव्रता परिवर्तन में व्यक्त किया जाता है।
पॉलीईनों के लिए वुडवर्ड-फाइजर नियम (Woodward-Fieser Laws for Polyenes)—
संयुग्मित डाइईनों के λmax मानों के लिए 1, 3-ब्यूटाडाइईन (CH) = CH—CH = CH2) को मूल या पैतृक (parent) यौगिक माना जाता है। इसका आधार मान (basic value) 215 nm होता है । 1, 3- ब्यूटाडाइईन के इस आधार मान में प्रत्येक प्रतिस्थापी के लिए उसका एक निश्चित मान जोड़ दिया जाता है।
प्रत्येक ऐल्किल समूह, द्विबन्धित कार्बन पर रिंग अवशेष, हैलोजन तथा बाह्य चक्रीय (exocyclic) द्विबन्ध के लिए 5nm तथा संयुग्मन में प्रत्येक द्विबन्ध की वृद्धि के लिए 30 nm, आधार मान में जोड़ दिया जाता है।
वुडवर्ड के अनुसार ऐसा करके हम प्रतिस्थापी अणु (substituted molecule) की उस सम्भव उच्चिष्ठ अवशोषण आवृत्ति ( λmax) का पता लगा सकते हैं जो उस यौगिक (प्रतिस्थापी अणु) की प्रायोगिक दृष्टि से होनी चाहिए।

उदाहरण 1. 1, 3- ब्यूटाडाइईन जिसका π- π* संक्रमण के कारण 217nm पर प्रबल अवशोषण बैण्ड ( λmax) होता है ।
CH2=CH—CH=CH2
आधार मान (Basic value) = 217 nm
CH3—CH=CH—CH=CH2
(अ) आधार मान = 217 nm
ऐल्किल समूह = + 5 nm
कुल = 222 nm
(ब) प्रेक्षित मान = 221 nm
1, 3- ब्यूटाडाइईन में एक ऐल्किल समूह जोड़ देने पर आधार मान में 5 जोड़ने होते हैं। इस प्रकार प्रतिस्थापी अणु की सम्भव अवशोषण आवृत्ति (λmax)217+ 5 = 222nm होगी। इस अणु का प्रायोगिक मान
( λmax) = 221nm है।
उदाहरण 2.

इस यौगिक में दोनों द्विबन्ध समचक्रीय हैं। इसका आधार मान 253 nm है। इसमें चार वलय अवशेष a, b, c एवं d हैं, इसलिए इनका Amax = 4 x 5 = 20 nm हैं।
इसके अतिरिक्त दोनों द्विबन्ध वलय A और C के लिए बाह्य चक्रीय है। ये λmax के कुल मान में 2 x 5 = 10 nm की वृद्धि करेंगे। वलय B में संयुग्मित डाइईन के प्रतिस्थापन में एक ऐल्किल समूह का λmax= 5 nm और जुड़ेगा।
इस प्रकार उपरोक्त यौगिक का परिकलित मान λmax = 253 + 20+10+ 5 = 288nm होगा जो प्रायोगिक मान के लगभग बराबर है।