d-d-संक्रमण का क्या कारण है?वरण नियम क्या है ?14 April Useful

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d-d-संक्रमण

d-d-संक्रमण का क्या कारण है?वरण नियम क्या है ?14 April Useful.यहाँ पर बीएससी फाइनल इयर जो कुछ दिनों में होने वाला हैं उसके इम्पोर्टेन्ट क्वेश्चन मिलेंगे |इस  ब्लॉग  बीएससी फाइनल के अकार्बनिक रसायन यानि सेकंड पेपर का IV यूनिट का प्रश्न का उत्तर मिलेगा|

d-d-संक्रमण का क्या कारण है?वरण नियम क्या है ?14 April Useful

उत्तर- क्वाण्टम यांत्रिकी (Quantum mechanics) द्वारा विकिरणों के तरंग फलन (Wave function) के गुणों के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक संक्रमणों की सीमा रेखा तय किया जाता है, जिसे वरण नियम (Selection Tule) कहते हैं। किसी स्पेक्ट्रम में प्राप्त बैण्डों की संख्या एवं उनकी तीव्रता (Intensity) वरण नियम द्वारा निर्धारित होती है ।

सैद्धान्तिक रूप से प्राप्त सभी सम्भव इलेक्ट्रॉनिक संक्रमण प्रायोगिक रूप से संभव नहीं होते । इस प्रकार सभी सम्भव इलेक्ट्रॉनिक संक्रमण स्पेक्ट्रम में नहीं दिखायी देते हैं। किसी भी प्रकार के स्पेक्ट्रम के अध्ययन में यह पता लगाने का एक उद्देश्य होता है, कि सामान्य तथा उत्तेजित अवस्थाओं का अभिलाक्षणिक गुण उनके मध्य पाये जाने वाले d-d-संक्रमण के संदर्भ में क्या होना चाहिये ?

d-d-संक्रमण का परिणाम क्या है?

इसी आवश्यक अभिलाक्षणिक गुणों की अभिव्यक्ति को वरण नियम (Selection rules) कहते हैं। वरण नियम के अनुसार यदि किसी संभावित संक्रमण के लिये सामान्य एवं उत्तेजित अवस्थाओं में आवश्यक अभिलाक्षणिक गुण हैं, तो ऐसे संक्रमण अनुमत (Allowed) होते हैं। यदि आवश्यक अभिलाक्षणिक गुण नहीं है, तो ऐसे संक्रमण वर्जित (Forbidden) होते हैं।

इस प्रकार वरण नियम के द्वारा अनुमत तथा वर्जित संक्रमणों का ज्ञान हो जाता है। अनुमत संक्रमण (Allowed transition) बैण्ड को जन्म देते हैं, जबकि वर्जित संक्रमण (Forbidden transition) या तो पाये नहीं जाते अथवा क्षीण तीव्रता वाले बैण्ड देते हैं ।

वरण नियम की उत्पत्ति अवशोषण प्रक्रिया के विशिष्ट आदर्श युक्त सैद्धान्तिक मॉडल से होती है। सैद्धान्तिक रूप से सामान्य तथा उत्तेजित अवस्था के तरंग फलनों को सरल होना चाहिये, किन्तु प्राय: ये सरल (Simple) नहीं होते हैं । ऐसी स्थिति में वर्जित संक्रमण पाये जाते हैं। यद्यपि वर्जित संक्रमणों की प्राथमिकता कम होती है, फलस्वरूप इनकी तीव्रता कम पायी जाती है।

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