ostwald dilution law.दुर्बल विद्युत अपघट्यों में आयनों की सान्द्रता बहुत कम होती है। इसलिये अन्तरआयनिक बल भी इतने कम होते हैं कि उनको उपेक्षित (Neglacted) किया जा सकता है।
ostwald dilution law
अत: NH4OH, CH3COOH आदि जैसे दुर्बल विद्युत अपघट्यों के आयनों तथा विलयन में अणुओं के मध्य एक साम्य स्थापित हो जाता है। इस साम्य को निम्न रूप से लिख सकते हैं।
AB ⇌ A+ + B-
यदि किसी दुर्बल द्विअंगी विद्युत अपघट्य (Weak Binary Electrolyte) AB का एक ग्राम अणु V लीटर जल से घोला जाये तथा a वियोजन की दर हो (अर्थात A+ व B आयनों में वियोजित AB का भाग) तो साम्य अवस्था में प्रति लीटर उपस्थित मात्राऐं अर्थात सक्रिय द्रव्यमान निम्न होंगे-
[AB] = (1-a)/V; [A+] =a/V;[B-]=a/V अनुपाती का नियम लगाने पर
K = [A] [B]/[AB]= [a/V] [a/V]/(1-a)/V = a2/[1-a]V
यह समीकरण तनुता के साथ वियोजन की दर के परिवर्तन को प्रदर्शित करती है, तथा इसको ऑस्टवाल्ड का तनुता नियम कहते हैं। यह द्रव्यअनुपाती का नियम है जो दुर्बल विद्युत अपघट्यों पर लगाया जाता है।
ostwald dilution law
दुर्बल विद्युत अपघट्यों में इकाई की तुलना में का मान बहुत कम होता है, अतः इसको हर (Denominator) में उपेक्षित किया जा सकता है। तब उपरोक्त समीकरण निम्न रूप से हो जाती है
K = a2/V या a =√(KV).
इसलिये विद्युत अपघट्य की दी गयी सान्द्रता पर वियोजन की दर a तनुता के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होती है। हमें यह ध्यान रखना चाहिये कि ऑस्टवाल्ड का तनुता नियम केवल तनु विलयनों के लिये ही मान्य है।
दुर्बल विद्युत अपघट्यों के तनु विलयनों में K का मान स्थिर होता है। यह नियम प्रबल विद्युत अपघट्यों जैसे KCI, HCI, NaOH आदि के लिये मान्य नहीं है।
ओस्टवाल्ड नियम के आधार पर प्रबल विद्युत अपघट्यों का व्यवहार, प्रबल विद्युत अपघट्यों का असंगत व्यवहार (Anomalous Behaviors) कहलाता है ।