what is transition elements 2023 Right Now

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what is transition elements |आवर्त सारिणी के दीर्घ रूप में तत्वों की व्यवस्था उनके अंतिम कोशों में उपस्थित ऑर्बिटल्स में इलेक्ट्रॉन भरने के आधार पर की गयी है। आवर्त सारिणी के s- ब्लॉक एवं p-ब्लॉक के तत्वों के मध्य d-ब्लॉक के तत्व पाये जाते हैं । d- ब्लॉक के तत्वों को संक्रमण तत्व (Transition elements) कहते हैं ।

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5 what is transition elements इनकी विशेषताओं को लिखिए
5.3 संक्रमण तत्व के गुण बताइए

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संक्रमण तत्व क्या है

संक्रमण तत्वों का सामान्य बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1) d1-10 ns0-2 होता है, अत: इन्हें ‘d’-ब्लॉक तत्व भी कहा जाता है। अभी तक कुल चार संक्रमण श्रेणियाँ (Transition series) ज्ञात हैं, ये श्रेणियाँ क्रमश: 3d, 4d, 5d एवं 6d ऑर्बिटल्स में उत्तरोत्तर इलेक्ट्रॉन भरने से निर्मित होती हैं । इनमें से चतुर्थ संक्रमण श्रेणी (6d- श्रेणी) अपूर्ण है, जिनका अध्ययन ∫- ब्लॉक तत्वों के साथ किया जाता है।

संक्रमण तत्व का सामान्य सूत्र:-

(n-1) d1-10 ns0-2

संक्रमण तत्व

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संक्रमण तत्व की परिभाषा

अभी तक संक्रमण तत्वों की स्पष्ट परिभाषा नहीं दी जा सकी है। इन तत्वों की एक विशेषता यह है कि ये अपने (n – 1) d- ऑर्बिटल्स को रासायनिक बन्ध बनाने में प्रयुक्त करने में सक्षम हैं।

इसी आधार पर इन्हें इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है – “वे तत्व जिनमें परमाण्वीय अवस्था में अथवा उस तत्व की किसी सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था में d – ऑर्बिटल आंशिक रूप से भरे हों, संक्रमण तत्व कहलाते हैं अथवा वे सभी तत्व संक्रमण तत्व कहलाते हैं, जिनके परमाणु अथवा आयन में अपूर्ण रूप से भरे d- कक्षक (d-orbital) उपस्थित हों।”

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जैसे, Fe2+, V3+ की अपेक्षा अधिक अनुचुम्बकीय है क्योंकि Fe2+ में चार अयुग्मित इलेक्ट्रोन होते हैं तथा V3+ में केवल दो । Mn2+, 3d श्रृंखला में अधिकतम् अनुचुम्बकत्व दर्शाता है क्योंकि इसमें पाँच अयुग्मित इलेक्ट्रोन होते हैं।

वे पदार्थ जो चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field) में प्रतिकर्षित (Repel) होते हैं, प्रतिचुम्बकीय (Diamagnetic) कहलाते है

Cu+ Zn2+, Ag+ Cd2+ आदि प्रतिचुम्बकीय हैं क्योंकि इन सभी आयनों में पूर्ण भरे हुऐ d-कक्षक वाला विन्यासहोता है।

अनुचुम्बकीय पदार्थों में अयुग्मित ( Unpaired) इलेक्ट्रोन परमाणु में चक्रण (Spin) करता है लेकिन प्रतिचुम्बकीय पदार्थों में सभी इलेक्ट्रोन युग्मित (Paired) होने के कारण इस प्रकार का चक्रण (Spin) नहीं होता है ।

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कुछ पदार्थों जैसे,Fe, Co एवं Ni आदि धातुओं को चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field) में रखने पर इनमें उपस्थित चुम्बकीय क्षेत्र लाखों गुणा बढ़ जाता है।

इस प्रकार के पदार्थ लौह-चुम्बकीय (Ferro Magnetic) कहलाते हैं अर्थात् ये वे पदार्थ हैं जिनको चुम्बकीकृत (Magnetize) किया जा सकता है।

लौह-चुम्बकीय (Ferro Magnetic) पदार्थों के यौगिक उदाहरण – Fe, Co, एवं Ni आदि धातुऐं, Fe3O4 एवं Fe, Co, Fe, Mn आदि की मिश्रधातुऐं (Alloys) हैं।

what is transition elements इनकी विशेषताओं को लिखिए

डी ब्लॉक के तत्वों को संक्रमण तत्व क्यों कहते हैं

वे तत्व जिनमें नया प्रविष्ट होने वाला इलेक्ट्रोन d-उपकोश (Sublevel) में प्रवेश करता है, d-ब्लॉक तत्व कहलाते हैं। वे तत्व जिनके परमाणुओं में अपूर्ण d-कक्षक होते हैं या उनकी साधारण ऑक्सीकरण अवस्था में अपूर्ण d-कक्षक होते हैं, सक्रमण तत्व कहलाते हैं। d-ब्लॉक तत्व, s-ब्लॉक तथा p-ब्लॉक तत्वों के बीच में पाये जाते हैं।

इनके लिए ‘संक्रमण’ शब्द प्रयुक्त किया गया है क्योंकि ये तत्व धनविद्युती धातुओं (Electropositive Metals) तथा ऋणविद्युती अधातुओं (Electronegative Non-Metals) के बीच रखे गये हैं। साधारणतः s-ब्लॉक तत्व आयनिक तथा p-ब्लॉक तत्व सहसंयोजक (Covalent) यौगिक देते हैं।

what is transition elements आवर्त सारणी में इनके स्थान की विवेचना कीजिए

इसी कारण d-ब्लॉक तत्वों में आयनिक गुण से सहसंयोजक गुण में धीरे-धीरे परिवर्तन होता है तथा ये सक्रमण तत्व कहलाते हैं। समूह IB, IIB, IIIB, IVB, VB, VIB, VIIB एवं समूह VIII के तत्व सक्रमण तत्व कहलाते हैं।

d-ब्लॉक तत्वों तथा सक्रमण तत्वों में बहुत अधिक भिन्नता है। जैसे ns2 (n-1) d10 विन्यास वाले तत्व संक्रमण तत्व नही हैं। यद्यपि ये d-ब्लॉक के तत्व हैं।

उदाहरणार्थ Cu (3d104s1), Ag (4d105s1) एवं Au (5d106s1) में d उपकोश (Sublevel) पूर्ण भरे हुऐ हैं फिर भी इन तत्वों के d-इलेक्ट्रोन रासायनिक बन्ध भाग लेते हैं।

इसी प्रकार Zn (3d104s2), Cd (4d10 5s2) एवं Hg (5d106s2) में भी d-उपकोश पूर्ण भरे हुऐ हैं किन्तु इन तत्वों के d-इलेक्ट्रोन रासायनिक बन्ध बनाने में भाग नही लेते हैं।

अत: Cu, Ag एवं Au प्रारूपिक सक्रमण तत्व (Typical Transition Elements) हैं।

जबकि Zn, Cd एवं Hg जो कि प्रत्येक d-ब्लॉक श्रंखला के अन्तिम सदस्य हैं, सक्रमण तत्वों के अन्तर्गत नहीं आते कहीं है।

सभी संक्रमण तत्व d-ब्लॉक तत्व हैं। लेकिन सभी d-ब्लॉक तत्व संक्रमण नही हैं।

संक्रमण तत्व के गुण बताइए

संक्रमण तत्वों के गुण

सक्रमण तत्वों के सामान्य गुण (GENERAL PROPERTIES OF TRANSITION ELEMENTS)

(a) धात्विक गुण (Metallic Character) –

सभी संक्रमण तत्व धातुऐं हैं क्योंकि इनके बाह्यतम कोश में केवल दो इलेक्ट्रोन होते हैं। ये चमकदार, आघातवर्ध्य एवं तन्य (Malleable and Ductile) होते हैं।

ये क्षारीय एवं क्षारीय मृदा धातुओं (Alkali and Alkaline Earth Metals) की अपेक्षा कम धात्विक हैं । संक्रमण तत्व प्रबल धात्विक बन्ध (Strong Metallic Bonds) बनाते हैं।

एक संक्रमण श्रृंखला में बायें से दायें जाने पर धात्विक बन्ध की सामर्थ्य (Strength) पहले बढ़ती है फिर घटती है। जैसे, प्रथम या 3d-श्रृंखला में V से Cr तक धात्विक गुण अधिकतम तथा Zn में सबसे कम होता है।

(b) चालकता (Conductivity) –

सभी संक्रमण धातुऐं ऊष्मा एवं विद्युत (Heat and Electricity) की सुचालक (Good Conductor) हैं। सिल्वर विद्युत की उत्तम चालक (Best Conductor) है।

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(c) घनत्व (Density) —

छोटा परमाणु आकार एवं प्रबल धात्विक बन्ध (Strong Metallic Bonding) के कारण संक्रमण तत्वों का घनत्व एवं कठोरता अधिक होते हैं।

सभी संक्रमण तत्वों की एक विशिष्ट धात्विक संरचना (Metallic Structure) होती है। इनमें षट्कोणीय निबिड़ संकुलन (Hexagonal Close Packing) अधिकांशतः पाई जाती है। इस निबिड़ सकुंलन (Close Packing) के कारण ही इन तत्वों का घनत्व अधिक होता है ।

(d) गलनांक एवं क्वथनांक (Melting and Boiling Point) –

इन तत्वों के गलनांक एवं क्वथनांक अधिक होते हैं क्योंकि इनमें प्रबल अन्तराणविक आकर्षण (Strong Interatomic Attraction) एवं प्रबल धात्विक बन्ध (Strong Metallic Bond) होता है ।
एक संक्रमण श्रृंखला मे गलनांक पहले बढ़ते हैं फिर घटते हैं। Zn, Cd एवं Hg के गलनांक कम हैं क्योंकि इनमें दुर्बल धात्विक बन्ध होते हैं ।

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(e) परमाणु त्रिज्या एवं आयनिक त्रिज्या (Atomic and Ionic Radii) –

संक्रमण तत्वों में परमाणु त्रिज्या किस प्रकार परिवर्तित होती है

लगभग सभी संक्रमण धातुओं की परमाणु त्रिज्या तथा आयनिक त्रिज्या कम होती है तथा एक श्रृंखला में लगभग समान होती है। प्रत्येक श्रृंखला में परमाणु क्रमांक (Atomic Number) बढ़ने पर परमाणु त्रिज्या तथा आयनिक त्रिज्या अल्प मात्रा में घटती है।

(f) आयनन ऊर्जा (lonisation Energy ) –

संक्रमण धातु परमाणुओं का आकार छोटा होने के कारण इनकी आयनन ऊर्जा अधिक होती है। इनमें से अधिकांश तत्वों की आयनन ऊर्जा s-ब्लॉक एवं p-ब्लॉक तत्वों के बीच की होती है। अतः ये s-ब्लॉक तत्वों की अपक्षा कम आयनिक होते हैं एवं सहसंयोजक बन्ध (Covalent Bond) बनाने की प्रवृति दर्शाते हैं ।हैं। (p-ब्लॉक तत्वों की भाँति ।

एक संक्रमण श्रृंखला में आयनन ऊर्जा लगभग अपरिवर्तित रहती हैं या बायें से दायें हल्की सी बढ़ती है। इस हल्की सी वृद्धि का कारण बायें से दायें आकार में कमी होना है। अधिक परमाणु आकार होने के बावजूद भी एक संक्रमण श्रृंखला के अन्तिम तत्व की आयनन ऊर्जा अधिक होती है । (3d श्रृंखला में Zn, 4d श्रृंखला में Cd, 5d श्रृंखला मैं Hg) । इसका कारण पूर्ण भरे कक्षकों (Completely Filled Orbitals) का अतिरिक्त स्थायित्व है ।

(g) विद्युतऋणता तथा धनविद्युती लक्षण (Electronegativity and Electropositive Character) –

d-ब्लॉक तत्व धातुऐं हैं। अतः उच्च धनविद्युती हैं। इनकी विद्युतॠणताओं के मान कम हैं किन्तु इनकी विद्युतऋणताऐं s-ब्लॉक तत्वों से कम हैं क्योंकि संक्रमण तत्वों का परमाणु आकार अपेक्षाकृत छोटा होता है।

(h) मिश्रधातु निर्माण (Alloy Formation ) –

सभी संक्रमण तत्व लौह (Ferrous) तथा लौह-रहित (Non-Ferrous) मिश्रधातु बनाने की क्षमता रखती हैं।

(i) क्रियाशीलता (Reactivity) –

संक्रमण धातुऐं s-ब्लॉक तत्वों की अपेक्षा कम क्रियाशील हैं। कम क्रियाशीलता का कारण उच्च आयनन ऊर्जा (High Ionisation Energy), उच्च ऊर्ध्वपातन ऊष्मा (High Heat of Sublimation) तथा कम जलयोजन ऊष्मा (Low Heat of Hydration) है। सोना, प्लेटीनम, सिल्वर आदि उत्कृष्ट धातुऐं (Noble Metals) कहलाती हैं क्योंकि इनकी क्रियाशीलता कम है ।

(j) परिवर्ती संयोजकता या परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था (Variable Valeney or Variable Oxidation State)-

संक्रमण तत्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं क्यों

संक्रमण तत्व परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था

सभी संक्रमण तत्व, प्रथम तथा अन्तिम तत्व के अतिरिक्त परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था (Variable Oxidation State) दर्शाते हैं। यह विभिन्नता अपूर्ण d-कक्षकों के भाग लेने के कारण होती हैं।

इनमें ns (बाह्यतम कोश) कक्षक तथा (n-1)d कक्षक के बीच ऊर्जा अन्तर (Energy Difference) बहुत कम होता है। अत: दोनों ऊर्जा स्तरों (Energy Levels) के इलेक्ट्रोन बन्ध निर्माण (Bonding) में प्रयुक्त हो सकते हैं।

सामान्यतः इन सभी तत्वों में दो ns इलेक्ट्रोन होते हैं। इसके अतिरिक्त ये एक या अधिक (n-1)d इलेक्ट्रोनों को भी बन्ध निर्माण में प्रयुक्त कर सकते हैं । अतः + 3 एवं अधिक ऑक्सीकरण अवस्था भी दर्शाते हैं। ऑक्सीकरण अवस्था में परिवर्तन बन्ध निर्माण में भाग लेने वाले d-इलेक्ट्रोनों की संख्या पर निर्भर करता है। यह परिवर्तन +2 से +7 तक हो सकता है।

क्रोमियम और कॉपर अपवाद हैं। ये +1 ऑक्सीकरण अवस्था भी दर्शाते हैं। स्केन्डियम (1s22s22p63s23p64s23d1) +3 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है।

जब दो इलेक्ट्रोन 2s-कक्षक से तथा एक इलेक्ट्रोन 3d कक्षक से त्यागे जाते हैं। स्केन्डियम (Z=21) में 4s तथा 3d-कक्षकों की ऊर्जा लगभग समान होती है, 3d कक्षक में केवल एक इलेक्ट्रोन होता है जो रासायनिक बन्धन (Chemical Bonding) में भाग ले सकता है।

स्केन्डियम + 2 ऑक्सीकरण अवस्था भी दर्शाता है। जिनमें यह दोनों s-इलेक्ट्रोनों को बन्ध निर्माण में प्रयुक्त करता है।

टाइटेनियम (4S23d2) परिवर्ती संयोजकताऐं +2, + 3 एवं +4 दर्शाता है। इनमें से यह दो 4s इलेक्ट्रोन (+2 ऑक्सीकरण अवस्था में) तथा + 3 ऑक्सीकरण अवस्था में एक 3d – इलेक्ट्रोन, +4 अवस्था में दोनों 3d – इलेक्ट्रोनों को प्रयुक्त करता है।

इसी प्रकार वेनेडियम (4s23d3) +2 से +5 तक ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है तथा क्रोमियम (4s13d5) + 1 से +6 तक ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है। मैगनीज (4s23d5) में 5 अयुग्मित (Unpaired) d इलेक्ट्रोन होते हैं। अतः +2 से +7 तक ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाने की क्षमता रखता है। 3d – श्रृंखला में अधिकतम ऑक्सीकरण अवस्था +7 केवल Mn द्वारा ही दशाई जाती है।

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Mn के बाद, d- इलेक्ट्रोनों का युग्मन (Pairing) आरम्भ होने के कारण ऑक्सीकरण अंक +7 से कम होता जाता है । जैसे, Fe (4s23d6) में केवल 4 अयुग्मित इलेक्ट्रोन d-उपकोश (Sublevel) में होते हैं।

अतः यह अधिकतम ऑक्सीकरण अवस्था +6 दर्शाता है (2 इलेक्ट्रोन 4s से तथा चार 3d से) फिर भी, सामान्यतः Fe +2 से +6 ऑक्सीकरण अवस्था की बजाय + 2 एवं +3 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है क्योंकि Fe में नाभिकीय आवेश (Nuclear Charge) अपेक्षाकृत अधिक है (26 प्रोटोन)।

अतः 3d- इलेक्ट्रोनों पर नाभिक का नियन्त्रण बढ़ जाता है। अतः ये आसानी से बन्ध निर्माण के लिए उपलब्ध नहीं होते। 3d -कक्षक में से एक इलेक्ट्रोन फिर भी + 3 ऑक्सीकरण अवस्था देने के लिए उपलब्ध होता है क्योंकि इससे 3d कक्षक अर्द्धपूर्ण (Half Filled) हो जाता है तथा परमाणु को स्थायित्व प्रदान करता है।

इसी कारण Fe की +3 अवस्था + 2 से अधिक स्थाई होती है। इसी प्रकार कोबाल्ट एवं निकल क्रमशः +2 एवं +3 तथा + 2 एवं +4 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं ।

कॉपर (4s13d10) +1 एवं +2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है। सिल्वर + 1, + 2 एवं +3 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है, किन्तु + 2 एवं +3 अवस्थाऐं +1 अवस्था से कम स्थाई हैं।

प्रथम संक्रमण श्रृंखला का अन्तिम तत्व Zn (4s23d10) स्थाई ऑक्सीकरण अवस्था +2 दर्शाता है क्योंकि d-कक्षकों में 10 इलेक्ट्रोन होते हैं एवं ये पूर्णरूप से भरे होते हैं तथा बन्ध निर्माण (Bonding) में प्रयुक्त नहीं किये जा सकते हैं।

किस संक्रमण तत्व की उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था है

4d- श्रृंखला में रूथेनियम तथा 5d – श्रृंखला में ऑसमियम कुछ यौगिकों में ऑक्सीकरण अवस्था +8 दर्शाते हैं जैसे, RuO4 तथा0sO4। अधिकतम ऑक्सीकरण अवस्था जो संक्रमण तत्व दर्शाते हैं +8 है।

यह ध्यान देने योग्य है कि अधिकतम ऑक्सीकरण अवस्था तत्व के बाह्य इलेक्ट्रोनीय विन्यास (Outer Electronic Configuration) से सम्बन्धित नहीं है।

ऑक्सीकरण अवस्था के आपेक्षिक स्थायित्व (Stability) को रिक्त अर्द्धपूर्ण (Half Filled) या पूर्ण भरे हुऐ d-कक्षकों के आधार पर भी समझाया जा सकता है। उदाहरणार्थ फेरस लवण फेरिक लवणों से कम स्थाई हैं। कम ऑक्सीकरण अवस्था वाले यौगिक ‘अस’ यौगिक कहलाते हैं तथा अधिक ऑक्सीकरण अवस्था वाले यौगिक ‘इक’ यौगिक कहलाते हैं।

(k) रंगीन आयन निर्माण

संक्रमण तत्व रंगीन आयन क्यों बनाते हैं(संक्रमण तत्वों के आयन रंगीन होते हैं क्यों)

संक्रमण धातु आयन सामान्यतः अयुग्मित d-इलेक्ट्रोनों की उपस्थिति के कारण रंगीन होते हैं। ये अयुग्मित इलेक्ट्रोन दृश्य प्रकाश (Visible Region) से प्रकाश अवशोषित (Absorb) करके उच्च ऊर्जा स्तर (Higher Energy Level) में चले जाते हैं।

इस समय ये दृश्य स्पेक्ट्रम के एक रंग का अवशोषण करता है तथा संक्रमण धात आयन पूरक रंग (Complementary Colour) ग्रहण कर लेता है। संक्रमण धातु आयन जिनमें पूर्ण भरे d-कक्षक होते हैं, रंगहीन होते हैं जैसे, Zn2+, Ca2+ एवं Hg 2+ रंगहीन हैं।

संक्रमण धातु आयन का रंग कम ऊर्जा वाले d-कक्षकों के उच्च ऊर्जा वाले d-कक्षको में उत्तेजित (Excite) होने के कारण होता है। Zn2+ (3d10), Ca2+ (4d10) एवं Hg2+ (5d10) में पूर्ण भरे d-कक्षकों की उपस्थिति के कारण ये रंगहीन होते हैं।

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संक्रमण धातु के एक d-इलेक्ट्रोन को उत्तेजित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा की मात्रा बहुत कम होती है । जैसे, टाईटेनियम +3 अवस्था में केवल एक 3d-इलेक्ट्रोन होता है तथा यह 5000 Å तरंग दैर्ध्य (Wave Length) का प्रकाश अवशोषित करता है ज कि हरा है।

हरे रंग का पूरक रंग (Complementary Colour) बैंगनी रंग है । अत: Ti .3+ आयन बैंगनी होता है। इसी प्रकार जलयोजि (Hydrated) कॉपर (+2 अवस्था) आयन Cu(H2O) 2 + लाल रंग को दृश्य प्रकाश से अवशोषित करता है तथा नीला दिखाई देत है क्योंकि लाल का पूरक रंग नीला है। अत: Cu(H2O)2 + नीला दिखाई देता है। कुछ संक्रमण तत्वों के रंग इस प्रकार हैं

Sc3+ Ti4+, Cu+ एवं Zn 2+ में अयुग्मित इलेक्ट्रोन नहीं होने के कारण ये रंगहीन होते हैं। Ti’+ एवं V4+ दोनों में एक-एक अयुग्मित इलेक्ट्रोन की उपस्थिति के कारण क्रमशः बैंगनी एवं नीले दिखाई देते हैं।

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v3+ तथा Ni2+ में दो-दो अयुग्मित इलेक्ट्रोन होते हैं। अतः ये हरे दिखाई देते हैं। V2+, Cr3+, एवं Co2+ में तीन-तीन अयुग्मित इलेक्ट्रोन होते हैं तथा ये क्रमशः बैंगनी, हरा व गुलाबी दिखाई देते हैं।

Cr2+ Mn3+ एवं Fe2+ में चार-चार अयुग्मित इलेक्ट्रोन होते हैं । अतः ये क्रमशः नीला, बैंगनी तथा हरा दिखाई देते है । Mn2+ तथा Fe3+ में पाँच-पाँच अयुग्मित इलेक्ट्रोन होते हैं तथा इनका रंग गुलाबी व पीला होता है

यह ध्यान देने योग्य है कि, एक ही धातु आयन भिन्न-भिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाओं में भिन्न-भिन्न रं ग का हो सकता है। जैसे,Fe2+ हरा होता है तथा Fe3+ पीला। Cr2+, Cr3+एवंCr+6 क्रमशः नीला, हरा तथा पीला होता है। Mn2+ गुलाबी होता है। Mn3+नीला होता है। । Mn6+ हरा होता है तथा Mn7+ बैंगनी होता है

(l)संक्रमण तत्वों के चुंबकीय गुण

चुम्बकीय व्यवहार (Magnetic properties) –

(Magnetic Properties) – अधिकांश पदार्थ अनुचुम्बकीय (Paramagnetic) तथा प्रतिचुम्बकीय (Diamagnetic) होते हैं। कुछ ही लौह चुम्बकीय (Ferromagnetic) होते हैं। एक अनुचुम्बकीय पदार्थ वह है जो चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field) में आकर्षित होता है ।

संक्रमण तत्वों का निम्नलिखित में से कौन सा आयन अनुचुंबकीय है

अयुग्मित d- इलेक्ट्रोनों की उपस्थिति के कारण संक्रमण धातु तथा उनके आयन अनुचुम्बकीय होते हैं क्योंकि अनुचुम्बकत्व (Para magnetism) संक्रमण धातु आयन, परमाणु या अणु में अयुग्मित इलेक्ट्रोन की उपस्थिति के कारण होता है।

चुम्बकीय क्रियाशीलता संक्रमण धातुओं में अयुग्मित इलेक्ट्रोनों की संख्या का सीधा माप (Direct Measure) है जितने अयुग्मित इलेक्ट्रोन अधिक होंगे अनुचुम्बकत्व उतना ही अधिक होगा।

FAQ

आंतरिक संक्रमण तत्व किसे कहते हैं

अंतः संक्रमण तत्व किसे कहते हैं

संक्रमण तत्व संकुल यौगिक क्यों बनाते हैं

अंतर संक्रमण तत्व किसे कहते हैं

संक्रमण तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास एवं तीन अभिलाक्षणिक गुणों को लिखिए।

निम्नलिखित संक्रमण तत्व के आयनों में कौन अनुचुम्बकीय है

संक्रमण तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है

संक्रमण तत्व अंतराकाशी यौगिक क्यों बनाते है कारण लिखिए

संक्रमण तत्व अच्छे उत्प्रेरक होते हैं क्यों

फेरोसिन किस संक्रमण तत्व का यौगिक है

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