anti markovnikov rule 100% Useful.एम. एच. खराश (M. H. Kharasch) और एफ. आर. मेयो (F. R. Mayo) ने सन् 1933 में यह पाया कि वायु या परऑक्साइड (जैसे Benzoyl peroxide) की उपस्थिति में प्रोपीन (असममित ऐल्कीन) पर HBr का योग मार्कोनीकॉफ नियम के विपरीत उत्पाद देता है और आइसोप्रोपिलब्रोमाइड के स्थान पर n-प्रोपिल ब्रोमाइड बनता है।anti markovnikov rule कहलाता है।
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प्रतिमार्कोनीकॉफ संकलन या peroxide effect
ऐसा केवल HBr के साथ होता है, HCI एवं HI के साथ नहीं। परऑक्साइड की यह क्रिया जो सामान्य योगात्मक अभिक्रिया की दिशा को बदल देती है अर्थात् उत्पाद का विन्यास उल्टा कर देती है, peroxide effect कहलाती है।
सामान्य योग मार्कोनीकॉफ के नियमानुसार
markovnikov rule and anti markovnikov rule
CH3—CH = CH2 + H—Br
सामान्य योग [मर्कोनिकोफ़ के नियमानुसार (O2 या परऑक्साइड की अनुपस्थिति)→CH3—CHBrCH3 (आइसोप्रोपिल ब्रोमाइड)
असामान्य योग(परऑक्साइड की उपस्थिति)अथवा सूर्य का प्रकाश एवं वायु की उपस्थिति→ CH3CH2CH2Br (n-प्रोपिल ब्रोमाइड)
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परऑक्साइड प्रभाव का स्पष्टीकरण –
यह सुझाव दिया गया है कि परऑक्साइड द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रिया मुक्त मूलक श्रृंखला अभिक्रिया द्वारा होती है। सूर्य के प्रकाश या परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr अणु में समांश विखण्डन (homolytic fission) होता है और मुक्त ब्रोमीन मूलक बनता है।
H-Br —–Sunlight समांश विखण्डन—->H*+Br*( मुक्त ब्रोमीन मूलक)
(RCOO)2(परऑक्साइड) → 2RCOỎ*→2RO* + CO2 (alkoxy radical)
R*O + H—Br→ ROH + Br*
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उपर्युक्त प्रकार से बना हुआ मुक्त ब्रोमीन मूलक असममित ऐल्कीन के द्विबन्ध से बँधे हुए दो कार्बन परमाणुओं में से किसी एक के साथ जुड़कर नया मुक्त मूलक उत्पन्न करता है।
यह नया मुक्त मूलक प्राथमिक या द्वितीयक मुक्त मूलक हो सकता है। चूँकि द्वितीयक मूलक अपेक्षाकृत अधिक स्थायी होता है, इसलिये मध्यवर्ती (intermediate) के रूप में बनता है।
यह मूलक HBr के अणु के साथ क्रिया करके उससे हाइड्रोजन ले लेता है और 1- ब्रोमोप्रोपेन बनता है।
CH3CH = CH2(प्रोपीन)+Br
[प्रथम योग +Br]→CH3 CHBr—C*H2[(प्राथमिक मूलक, कम स्थायी)]-+–HBr→नहीं बनता हैं[द्वितीय योग +Br]→→ CH3—C*H—CH2Br[द्वितीयक मूलक(अधिक स्थायी)]-+–HBr→CH3—CH2—CH2Br(n – प्रोपिल ब्रोमाइड) + Br*anti markovnikov rule 100% Useful
अतः असममित ऐल्कीन पर जब योगात्मक क्रिया आयनिक क्रियाविधि द्वारा होती है, तब उत्पाद मार्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार बनता है और जब अभिक्रिया मुक्त मूलक के द्वारा होती है तब प्रतिमार्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार योग (असामान्य योग) होता है।
खराश (Kharasch) ने यह बताया कि HBr के अतिरिक्त अन्य यौगिक भी परॉक्साइड या सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में द्विबन्ध पर मुक्त मूलक क्रिया के द्वारा योग कर सकते हैं।