मारकोनिकॉफ का नियम 2023 Right Now

मारकोनिकॉफ का नियम 2023 Right Now.(Markownikoff) एवं सहयोगियों ने अनेक प्रयोगों के आधार पर असममित एल्कीनो में योगात्मक अभिक्रियाओं के लिए एक नियम प्रस्तुत किया जिसे मार्कोनीकॉफ का नियम कहते हैं।

मारकोनिकॉफ का नियम 2023 Right Now

इस नियम के अनुसार, “योगात्मक अभिक्रिया में योग करने वाले अणु (addendum molecule) का ऋणात्मक भाग उस कार्बन परमाणु से जुड़ता है जो न्यूनतम हाइड्रोजन परमाणुओं से संलग्न रहता है।”

यह नियम असममित ऐल्कीन पर असममित योग के लिए प्रयुक्त होता है। अतः उपर्युक्त अभिक्रिया में ऋणात्मक ब्रोमीन कार्बन परमाणु नं. 2 पर जाती है, क्योंकि यह कार्बन परमाणु नं. 1 की अपेक्षा कम हाइड्रोजन परमाणुओं से संलग्न है और मुख्य उत्पाद आइसोप्रोपिलब्रोमाइड बनता है।

CH3 CH = CH2 + HBr → CH3 CHBr-CH3(आइसोप्रोपिल ब्रोमाइड)

मार्कोनीकॉफ के नियम को दो प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-

मारकोनिकॉफ का नियम 2023 Right Now

(a) मार्कोनीकॉफ नियम का इलेक्ट्रॉनिक स्पष्टीकरण-

मेथिल मूलक के प्रतिकर्षक प्रेरणिक प्रभाव (+ I effect) के कारण द्विबन्ध का ध्रुवण निम्न प्रकार अर्थात् पहले कार्बन परमाणु की दिशा में होता है।

CH3 CH = CH2 → CH3 – CH = CH2

प्रतिकर्षक प्रेरणिक प्रभाव

मारकोनिकॉफ का नियम 2023 Right Now

प्रेरणिक प्रभाव के कारण HBr का अणु ध्रुवित अवस्था में (H-Br) रहता है। जब HBr का ध्रुवित अणु ध्रुवित प्रोपिलीन अणु के निकट पहुँचता है तब इलेक्ट्रोमेरिक परिवर्तन के कारण द्विबन्ध का इलेक्ट्रॉन जोड़ा प्रथम कार्बन पर पूर्ण रूप से स्थानान्तरित हो जाता है और प्रोपिलीन अणु का अग्र रूप हो जाता है-

CH3-→–CH = CH2 →CH3—CH+—CH3

फिर निम्न पदों में योग की क्रिया होती है-

CH3—CH+—CH2 + H+—-Br → CH3—CH+—CH3 ( आइसोप्रोपिल कार्बोकैटायन (first step))+ Br

→Br——>CH3—CHBr—-CH3 (आइसोप्रोपिलब्रोमाइड (second step))

मारकोनिकॉफ का नियम 2023 Right Now

सम्पूर्ण क्रिया को निम्न प्रकार से भी प्रदर्शित किया जा सकता है—

CH3 → CH = CH2 + HBr → CH3CH+CH3 —– Br—→ CH3CHBrCH3

(b) मार्कोनीकॉफ के नियम का कार्बोकैटायन के स्थायित्व के आधार पर स्पष्टीकरण –

उदाहरण के लिए, प्रोपिलीन पर HBr के योग पर विचार करेंगे।

पहले पद में प्रोटॉन का योग और दूसरे पद में Br का योग होता है। हाइड्रोजन ब्रोमाइड इलेक्ट्रॉनस्नेही H+ देता है जो द्विबन्ध से बन्धित किसी भी कार्बन पर योग करता है।

परमाणु क्रमांक 1 पर H+ का योग होने पर द्वितीयक कार्बोकैटायन बनता है और परमाणु क्रमांक 2 पर H+ का योग होने पर प्राथमिक कार्बोकैटायन बनता है।

चूँकि द्वितीयक कार्बोकैटायन अधिक स्थायी होता है, इसलिये यह अपेक्षाकृत प्राथमिकता से बनता है। आगे Br- का योग फिर इसी कार्बोकैटायन पर होता है और आइसोप्रोपिलब्रोमाइड बनता है।

CH3–CH=CH2 +H+ → [CH3CH+–CH3]→CH3CHBr—CH3 (आइसोप्रोपिलब्रोमाइड)

H+↓

[CH3—CH2—CH+2](Primary carbocation) Br→ CH3—CH2—CH2Br(n-प्रोपिल ब्रोमाइड)

types of buffer solution

MSc chemistry

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