बोर का परमाणु मॉडल क्या हैं ?What Is Bohr Model?

बोर का परमाणु मॉडल क्या हैं ?What Is Bohr Model?रदरफोर्ड के एटॉमिक मॉडल की कमिओं को दूर करने एवं हाइड्रोजन एटम के स्पेक्ट्रम लाइन्स (रेखाओं)की व्याख्या या स्पस्टीकरण के लिए नील बोर (Niels Bohr-1913) ने प्लांक क्वांटम सिद्धांत पर बेस्ड (आधारित),एटम के लिए एक मॉडल प्रस्तावित किया,जिसे बोर का परमाणु मॉडल कहते हैं|
बोर का परमाणु मॉडल क्या हैं ?What Is Bohr Model?

बोहर के परमाणु मॉडल की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?,
इसके प्रमुख बिन्दु थे-
1.इलेक्ट्रान न्यूक्लीयस के चारों ओर कुछ स्वीकृत वृत्ताकार पथ पर घूमते हैं |जिन्हें कक्षा (ऑर्बिट ) कहते हैं|
2.प्रत्येक कक्षा,एनर्जी की निश्चित क्वांटिटी से संलग्न रहती हैं अत: इन्हें एनर्जी लेवल या उर्जा स्तर या उर्जा कोश भी कहते हैं |उर्जा स्तरों को क्रमश:1,2,3,4,….या K,L,M,N….इत्यादि से व्यक्त किया जाता हैं|प्रथम(1) या K-कोश नाभिक के सर्वाधिक समीप उर्जा स्तर या कोश होता हैं|
3.निश्चित उर्जा कोशों या उर्जा स्तरों में घूमते हुए इलेक्ट्रान की एनर्जी का न क्षय होता हैं या ना ही वृद्धि |अत: विशिष्ट उर्जा स्तरों में घूमते हुए इलेक्ट्रान की उर्जा निश्चित व स्थिर होती हैं|चूँकि इन कक्षाओं (Orbitals) में घूमते हुए इलेक्ट्रान निश्चित और स्थिर होती हैं,अत: इन कोशों या उर्जा स्तरों को स्थिर उर्जा स्तर(Stationery Energy States)कहा जाता हैं|इसे इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता हैं कि इलेक्ट्रान की उर्जा Quantized होती हैं |
बोर परमाणु मॉडल क्या है समझाइए,
4.एनर्जी के समान ही,किसी इलेक्ट्रान के कोणीय संवेग(Angular Momentum) के कुछ निश्चित मान होते हैं|कोणीय संवेग के केवल संभावित मानों को निम्न व्यंजक द्वारा व्यक्त क्र सकते हैं –
mvr = nh/2π
अर्थात इलेक्ट्रान का कोणीय संवेग mvr,h/2π का पूर्णांक गुणज (Intergral Multiple) होता हैं |
यहाँ,m=इलेक्ट्रान का द्रव्यमान,v= घूमते हुए इलेक्ट्रान का वेग,r=कक्षा की त्रिज्या,h=प्लांक स्थिरांक एवं n=एक पूर्णांक संख्या इसके मान 1,2,3,….हो सकते हैं|
अत: इलेक्ट्रान के कोणीय संवेग के मान h/2π,2h/2π,3h/2π……..आदि हो सकते हैं |कोणीय संवेग के भिन्नात्मक का मान संभव नहीं हैं |अर्थात कोणीय संवेग भी Quantized होता हैं |
बोर के परमाणु मॉडल के अभिगृहीत लिखे
5. जब इलेक्ट्रान को एनर्जी प्रदान की जाती तो उर्जा की निश्चित मात्रा क्वांटा अवशोषित होती हैं एवं इलेक्ट्रान सामान्य उर्जा स्तर से उच्च उर्जा स्तर पर कूद जाता हैं जिसे उतेजित अवस्था कहा जाता हैं |चूँकि उतेजित अवस्था अस्थायी होती हैं,अत: इलेक्ट्रान अपनी मूल अवस्था में पुन:कूद आता हैं एवं इस प्रक्रिया में उपर्युक्त आवृति के प्रकाश के रूप में कुछ उर्जा उत्सर्जित होती हैं|
दोनों एनर्जी लेवल की उर्जाओं के अन्तर के बराबर उर्जा अवशोषित होती हैं या उत्सर्जित होती हैं|
अत: ΔE=E2-E1
जहाँ E2 एवं E1 क्रमश: हाई एनर्जी लेवल तथा लो एनर्जी लेवल की एनर्जी हैं तथा ΔE, उर्जा का अंतर हैं|
चूँकि प्रत्येक एनर्जी लेवल ,निश्चित उर्जा की क्वांटिटी के साथ युक्त होता हैं अत: उत्सर्जित या अवशोषित होने वाली एनर्जी के भी निश्चित मान होते हैं जो कि एनर्जी लेवल की आपस की उर्जाओं के अंतर के बराबर होते हैं |
इसका अर्थ यह हैं कि इलेक्ट्रान की उर्जा में कोई क्रमिक या सतत परिवर्तन नहीं होता बल्कि परिवर्तन अचानक व निश्चित होता हैं,इसलिय इलेक्ट्रान के कूदने की बात कही जाती हैं|
बोर का हाइड्रोजन परमाणु मॉडल क्या है|

बोर के एटम मॉडल के डिफ़रेंट अभिग्रहितों के आधार पर हाइड्रोजन के nth को इलेक्ट्रान की एनर्जी की गणना की जा सकी तथा इसकी हेल्प से हाइड्रोजन के समान He+ एवं Li+2(1 इलेक्ट्रान युक्त) की उर्जा की गणना संभव हुई| जिसका निम्न व्यंजक हैं :-
En=-2 πme4Z2/n2h2
जहाँ m= इलेक्ट्रान का द्रव्यमान ,e=इलेक्ट्रान का आवेग,h=प्लांक स्थिरांक |
En=-2.178 x 10-18 Z2/n2 jप्रति परमाणु या –1312Z2/n2 kjमोल–1
हाइड्रोजन परमाणु हेतु Z=1
En=-2.178 x 10-18 /n2 J प्रति एटम
=-1312/n2 kjमोल–1
= – 13.6 /n2 eV/atom (;. 1 e V = 1.6022 x 10-19 J)
उक्त समीकरण में , चूँकि En ∝ 1/n2.जिसक अर्थ हैं E2-E1>E3-E2>E4-E3 मतलब ‘n’ के मान में वृद्धि से दो सिस्टेमिक एनर्जी लेवेल्स के बीच उर्जा का अंतर,
ΔE कम होता जाता हैं |
बोर का सिद्धांत क्या है
उदाहरण के लिए ग्राउंड स्टेट (n=1) में एनर्जी एवं उतेजित स्टेट (n=2,3,4……आदि) में इलेक्ट्रान की एनर्जी आगे दी गयी हैं|इनमे बोर उर्जा स्तर समान दुरी पर नहीं हैं|
n=1 मान रखने पर हाइड्रोजन के इलेक्ट्रान (मूल अवस्था)ली एनर्जी ज्ञात होती हैं|n का मान 2,3,4 या हाई एनर्जी लेवेल्स पर एनर्जी की गणना की जा सकती हैं|
फर्स्ट एनर्जी लेवल n=1, E1=-1312 KJ मोल -1
सेकंड एनर्जी लेवल n=2, E2=-328 KJ मोल -1
थर्ड एनर्जी लेवल n=3, E3=-145.8 KJ मोल -1
फोर्थ एनर्जी लेवल n=4, E4=-82.0 KJ मोल -1
फिफ्थ एनर्जी लेवल n=5, E5=-52.5 KJ मोल -1
इन मानों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता हैं कि दिफेरेंट एनर्जी लेवल में उर्जा का स्तर समान नहीं होता|दुसरे शब्दों में यह कहा जा सकता हैं कि दिफेरेंट एनर्जी लेवल समान दुरी नहीं होते|
हाइड्रोजन के समान अन्य के लिए व्यंजक होता हैं-
En=-2 π2mZ2e4/n2h2 = -1312Z2/n2 kj मोल -1
जहाँ, Z=तत्व का परमाणु क्रमांक (He+,Z=2;Li,Z=3)|
बोर की त्रिज्या क्या है|
बोर के मॉडल के अनुसार nth ऑर्बिटल की त्रिज्या निम्न समीकरण से दी जा सकती हैं-
rn =n2h2/4n2me2Z
rn=a0n2
या
जहाँ,a0 =52.9
इस प्रकार,प्रथम अवस्था की त्रिज्या बोर त्रिज्या कहलाती हैं एवं इसका मान 52.9 pm(या 0.529Å)हैं|
अत: H-अणु के लिए प्रथम कक्षक की त्रिज्या 52.9 pm होगी|
इसी प्रकार हाइड्रोजन जैसे अन्य आयनो के लिए,निम्न समीकरण से त्रिज्या की गणना की जा सकती हैं-
rn=a0n2/Z
rn(H-like)=rn(H-अणु)/Z
rn=52.9 n2/Z pm
= 0.0529n2/Z nm
जहाँ Z नाभिकीय आवेश हैं|(Z में वृद्धि होने के साथ-साथ त्रिज्या घटती जाती हैं|)
बोर के सिद्धांत पर हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की व्याख्या करें
बोर के एटॉमिक मॉडल में किसी परमाणु में इलेक्ट्रान का निश्चित एनर्जी लेवल होता हैं|जब इलेक्ट्रान अपने न्यूनतम संभावित एनर्जी लेवल पर होता है, तो इसे ग्राउंड स्टेट मानी जाती हैं| जब इन्हें उर्जा प्रदान की जाती हैं तो इलेक्ट्रान एनर्जी ग्रहण कर हाई लेवेल्स पर कूद जाता हैं|
इस समय इलेक्ट्रान की अवस्था को उतेजित अवस्था माना जाता हैं|उतेजित अवस्था अस्थायी होती हैं अत: इलेक्ट्रान की मूल अवस्था में लौटने की प्रवृति होती हैं| जब इलेक्ट्रान अपनी मूल अवस्था में लौटकर आता हैं तो दोनों एनर्जी लेवेल्स की एनर्जी में अंतर के बराबर एनर्जी,क्वांटम के रूप में उत्सर्जित होती हैं|
यदि लो एनर्जी लेवल व हाई एनर्जी लेवल उर्जाये क्रमश: E1 व E2 हो,तो उत्सर्जित विकिरण की आवृति होगी-
सम्बन्ध E2-E1 = ΔE से,
ΔE=hv
v=E2-E1/h , जहाँ h प्लांक स्थिरांक हैं|
बोर के एटम मॉडल में हाइड्रोजन एटम में E2 व E1 के निश्चित मान होते हैं|इससे यह स्पष्ट होता हैं कि आवृति (v) का मान निश्चित होता हैं|अत: हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में प्राप्त होने वाली डिस्क्रीट स्पेक्ट्रल रेखाओं का स्पष्टीकरण बोर के सिद्धांत द्वारा प्राप्त हो जाता हैं |
बोहर के परमाणु मॉडल की कमियां या सीमायें क्या हैं ?समझाईये
बोहर के परमाणु मॉडल की कमियां या सीमायें इस प्रकार से हैं :-
- यह सिद्धांत एक से अधिक इलेक्ट्रान वाले परमाणुओ के स्पेक्ट्रम का पूरी तरह स्पष्टीकरण देने में असफल रहा |
- परमाणु या आयन के स्पेक्ट्रम में मैग्नेटिक के ट्रांजीशन फिल्ड का प्रभाव भी बोहर के सिद्धांत द्वारा समझाया नहीं जा सकता |यह देखा गया हैं कि रेडिएशन उत्सर्जित करने वाले परमाणु को प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता हैं तो प्रत्येक स्पेक्ट्रुमी रेखा,अन्य महीन रेखायो में विपाटितहो जाती हैं|इस प्रभाव को जीमन प्रभाव कहते हैं|
- दो एनर्जी लेवेल्स में इलेक्ट्रान के ट्रांजीशन हेतु बोहर के सिद्धांत से केवल एक स्पेक्ट्रल रेखा होनी चाहिए|परन्तु यदि स्पेक्ट्रम को अच्छे स्पेक्ट्रोस्कोप द्वारा ध्यान से देखा जाये तो प्रत्येक स्पेक्ट्रल रेखा पास-पास स्थित डिफरेंट महीन रेखाओं में विभक्त होती हैं|
- इनकी उपस्थिति बोहर के मॉडल के द्वारा स्पष्ट नहीं की जा सकती|
- बोहर के सिद्धांत atoms के स्पेक्ट्रम में विधुत क्षेत्र का प्रभाव जिसे स्टार्क प्रभाव कहते हैं,को समझा नहीं सका|
- परमाणुओं के दिशात्मक बंधन से बनने वाले अणुओ की संरचना व आकार सम्बन्धी कोई जानकारी बोहर के सिद्धांत से प्राप्त नहीं होती हैं |
- बोर सिद्धांत के द्वारा नए सिद्धांतों जैसे-डी-ब्रोग्ली का सम्बन्ध, हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत आदि समझाए नहीं जा सकते|
- वास्तव में ये सिद्धांत इलेक्ट्रान के कण-प्रकृति के साथ -साथ तरंग सिद्धांत का भी समावेश करते हैं तथा यह जानकारी देते हैं कि इलेक्ट्रान के path को ठीक-ठीक परिभाषित नहीं किया जा सकता|अत: इसके द्वारा बोहर के सिद्धांत में वर्णित इलेक्ट्रान का वृत्ताकार path स्वयं ही निरस्त हो जाता हैं|
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