Using NMR Spectra-Proton Chemical Shift| Determination of Molecular Solid/Structure

Using NMR Spectra-Proton Chemical Shift|Determination of Molecular Solid/Structure.H नाभिक का केमिकल वातावरण डिफरेंट होने पर NMR स्पेक्ट्रम में उन नाभिकों की अवशोषण पोजीशन दिफेरेंट होती हैं।उनके अवशोषण सिग्नल(शिखर) एक ही स्थान में न होकर एक-दुसरे से थोड़ी-थोड़ी डिस्टेंस में विस्थापित होकर प्रथक-प्रथक हो जाते हैं।यही केमिकल शिफ्ट हैं।
Using NMR Spectra-Proton Chemical Shift|Determination of Molecular Solid/Structure.
NMR स्पेक्ट्रम में आने वाला सिग्नल कंपाउंड में उपस्थित दिफेरेंट प्रोटोनो के नेचर और उसके वातावरण की जानकारी देता हैं । स्पेक्ट्र दिफेरेंट टाइप के प्रोटोनो के लिए अलग-अलग स्थानों पर सिग्नल या संकेत देते हैं क्योंकि ये सभी प्रोटोन के आस-पास के वातावरण पर डिपेंड करता हैं।
यही स्थान बताते हैं कि प्रोटोन एरोमेटिक हे या ऐलिफैटिक प्राइमरी/सेकेंडरी/ तृतीयक हैं।
जब कभी प्रोटोन को चुम्बकीय फील्ड में रखा जाता हैं तो उसकी चारो और चक्कर लगाने वाले इलेक्ट्रानों से एक सेकेंडरी चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता हैं । जिसे प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र कहते हैं।
शील्डिंग (परिरक्षण प्रभाव )इफ़ेक्ट
प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र के कारण नाभिक बाहरी चुम्कीय क्षेत्र का अनुभव नहीं कर पता हैं या नाभिक पर चुम्कीय क्षेत्र बाहरी चुम्बकीय फिल्ड के बराबर नहीं होता हैं । क्योंकि प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र बाहरी मैग्नेटिक फिल्ड का विरोध करता हैं,इसे ही शिल्डिंग इफ़ेक्ट कहता हैं।
इसका मतलब यह हुआ की बाहर से लगाये गए मैग्नेटिक फिल्ड को इतना बढाया जाये की नाभिक अनुनाद(संक्रमण )आवृति का अवशोषण कर सके।यह उच्च क्षेत्र विस्थापन कहलाता हैं ।
डी शिल्डिंग इफ़ेक्ट (विपरिरक्षण प्रभाव)
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