Paper-Chromatography-ka-Principle Rf <1 Value Useful

Paper-Chromatography-ka-Principle Rf <1 Value Useful.अथवा, कागज क्रोमैटोग्राफी तथा इसके अनुपयोग लिखिये। यह ब्लॉग बीएससी प्रथम वर्ष के विधार्थियो के लिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न हैं।यह प्रश्न रसायन शास्त्र सेकंड पेपर यानि मेजर के सेकंड पेपर /माइनर/इलेक्टिव विषय वाले स्टूडेंट के लिए हैं।यह ब्लॉग बीएससी सेकंड पेपर के यूनिट 5 का हैं।
By कुमार संतोष
Paper-Chromatography-ka-Principle Rf <1 Value Useful
उत्तर- पेपर क्रोमैटोग्राफी-इसकी प्रस्तुति सर्वप्रथम मार्टिन तथा सिन्ज ने की|
सिद्धान्त – पेपर क्रोमैटोग्राफी थिन-लेयर क्रोमैटोग्राफी के आधार मैट्रिक्स सेल्यूलोज फिल्टर पेपर स्थिर भावस्था के आधार मैट्रिक्स (Supporting matrix) के रूप में कार्य करता है। फिल्टर पेपर जलरागित (Hy- ता (tophilic) होता है जिस पर जल की एक पतली परत जम जाती है। स्थिर प्रावस्था के रूप में जल या फिर कोई अन्य अध्रुवी पदार्थ, जैसे- सिलिकॉन या द्रव पैराफिन का प्रयोग किया जाता है। पेपर क्रोमैटोग्राफी * लिये स्थिर प्रावस्था जल होने पर चलायमान प्रावस्था -ब्यूटेनॉल- ऐसीटिक अम्ल-जल (4 : 1 : 5) अथवा जल से संतृप्त फीनॉल उपयुक्त रहती है।
विभिन्न परिचालन क्षमताओं जैसे मन्द, मध्यम अथवा तीव्र परिचालन क्षमताओं वाले फिल्टर पेपर जिन्हें अम्ल से धोकर अशुद्धियाँ दूर कर ली गई हो, का प्रयोग किया जाता है।
प्रकार –
यदि क्रोमैटोग्राम को ऊपर की दिशा में डेवलप किया जाये अर्थात् विलायक को ऊपर की ओर चढ़ने दिया जाए तो उसे आरोही विधि व नीचे की ओर डेवलप किया जाये अर्थात् विलायक को नीचे की ओर चढ़ाया जाये तो उसे अवरोही विधि कहते हैं।
है ।
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विधि—
(i) पेपर क्रोमैटोग्राफी का चुनाव, यह आरोही या अवरोही विधियों की प्रकृति पर निर्भर करता है ।
(ii) डेवलपर – विलायक के चुनाव मुख्यतया विभिन्न अवयवों के R, मानों पर निर्भर करता है। विलायक को क्रोमैटोग्राफी जार में रखा जाता है व जार के मुख को कवर से बंद करने पर यह विलायक की वाष्प से संतृप्त हो जाता है।
(iii) प्रतिदर्श विलयन को फिल्टर पेपर पर रखना।
(iv) डेवलपन – फिल्टर पेपर को क्रोमैटोग्राफी जार से ऊर्ध्व स्थिति में रखा जाता है कि वह विलायक में लगभग 1 सेमी डूब जाये। विलायक के उपयुक्त ऊँचाई तक चढ़ने के पश्चात् उसे बाहर निकालकर सूखा लिया जाता है।’
(v) चक्षुकरण (Visualisation ) — अवयवों को फिल्टर पत्र पर देखने के लिये किसी रासायनिक अभिकर्मक (निनहाइड्रिन) का स्प्रे किया जाता है या पेपर का उपयुक्त तरंगदैर्घ्य का प्रकाश डाला जाता है।
(vi) R, मानों की गणना– अंत में विलायक व विलेयों द्वारा चली गई दूरी को रिकॉर्ड कर R, मानों की गणना की जाती है ।

परमाणु क्रमांक 21 से 30 तक के तत्वों में किन तत्वों के विन्यास अपवादस्वरूप पाए क्यों ?समझाइए ?
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