nmr spectroscopy principle 2023 Right Now

nmr spectroscopy principle 2023 Right Now
nmr spectroscopy principle

nmr spectroscopy principle.इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन और substance की पारस्परिक रिएक्शन की स्टडी की जाती हैं|electromagnetic रेडिएशन में wave और पार्टिकल दोनों के गुण होते हैं |इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन कई प्रकार के होते हैं,sunlight,x-ray,ultraviolet (uv),radio waves,इन्फ्रारेड तरंगे आदि सभी विधुत चुम्बकीय विकिरण हैं |इन विकिरण की उर्जा अलग -अलग होने के कारण ये यौगिको के साथ भिन्न -भिन्न प्रकार से क्रिया करते हैं|निम्न प्रकार से नीचे देखिये !

UV स्पेक्ट्रम(200-400nm) -इलेक्ट्रॉनिक संक्रमण

विकिरण (1>0-4 से 10-6)-वाइब्रेशनल और रोटेशनल परिवर्तन

रेडियो तरंगे > 10-7 nm -के अवशोषण से एटम्स के नाभिकीय चुम्बकीय आघूर्ण के स्पिन की दिशा में परिवर्तन होता हैं|

अन्य विकिरण के अवशोषण से पदार्थो में अलग-अलग प्रकार से परिवर्तन होते हैं|

nmr spectroscopy principle

हम समझते हैं की NMR Spectroscopy kya Hain?इसकी खोज भोतिक विज्ञानी ब्लाक और पर्सेल ने की थी |इस संक्रमण में नाभिक का संक्रमण एक स्पिन स्टेट से दूसरी स्पिन स्टेट में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के अवशोषण से तब होता हैं जब वे इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड में रखे जाते हैं|covid19ind .org

एनएमआर परिभाषा

किसी कंपाउंड के एटॉमिक नाभिकों द्वारा प्रबल मैग्नेटिक फील्ड में रेडियो वेव्स (λ>10-7 nm)के अवशोषण से नाभिकीय चुम्बकीय आघूर्ण के स्पिन की स्टेट (दिशा) मे होने वाला परिवर्तन नाभिकीय चुम्बकीय अनुनाद (NMR)कहलाता हैं|jo sab kuch janta ho

NMR spectroscopy principle

कुछ एलेमेंट्स के नाभिक ,उदहारण के लिए कार्बन-13 और हाइड्रोजन (1H),जिनमे odd नंबर में प्रोटोन/न्यूट्रॉन होते हैं ,ऐसा व्यबहार शो करते हैं कि मानो ये एक एक्सिस पर स्पिन करते हुए चुम्बक हैं|किसी विधुत आवेशित पार्टिकल के स्पिन से चुम्बकीय फील्ड उत्पन्न हो जाता हैं इसलिए नाभिकों के स्पिन से भी एक अल्प चुम्बकीय फील्ड उत्पन्न हो जाता हैं|जिसकी डायरेक्शन और परिमाण एक सदिश राशि,चुम्बकीय आघूर्ण के द्वारा रिप्रेजेंट की जा सकती हैं|

मैक्सिमम आर्गेनिक कंपाउंड्स में केवल प्रोटोन ही ऐसे एटॉमिक नाभिक होते हैं जो अपने नाभिकों के चारों और स्टेबल मैग्नेटिक फील्ड produce करते हैं,इसलिए यहाँ पर ओनली प्रोटोन युक्त आर्गेनिक कंपाउंड्स के मैग्नेटिक प्रॉपर्टी का एक्सप्लेन किया गया हैं|

proton magnetic resonancespectroscopy

जब प्रोटोन (1H)से युक्त किस कंपाउंड की स्ट्रोंग मैग्नेटिक फील्ड में रखा जाता हैं और साथ में विधुत चुम्बकीय किरणों से किरणित किया जाता हैं तब कंपाउंड के प्रोटोन (1H) नाभिक प्रोसेस,जिसे चुम्बकीय अनुनाद कहते हैं,के द्वारा एनर्जी का अवशोषण कर लेते हैं|

एनर्जी का अवशोषण तब तक नहीं होता हैं जब तक कि एप्लाइड मैग्नेटिक फील्ड की प्रबलता और इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन की आवृति एक विशिष्ट वैल्यू की नहीं होती हैं|नाभिकों द्वारा अवशोषित होने वाली एनर्जी का मापन जिस इंस्ट्रूमेंट के द्वारा किया जाता हैं उसे नाभिकी चुम्बकीय अनुनाद (NMR) स्पेक्ट्रोमीटर /प्रोटोन चुम्बकीय अनुनाद स्पेक्ट्रोमीटर कहते हैं|इन इंस्ट्रूमेंट में अति शक्तिशाली चुम्बकों का यूज़ करते हैं और सैंपल को रेडियो आवृति (rf)फील्ड में किरणित करते हैं|

नाभिकीय चुम्बकीय आघूर्ण

चुंबकीयआघूर्णका एस आई मात्रक क्या होता है?
चुंबकीयआघूर्णका एस आई मात्रक (A-m2) होता है|एम्पीयर-स्क्वायर मीटर (ए-एम 2) चुंबकीय द्विध्रुवीय क्षण की श्रेणी में एक इकाई है।इसे एम्पीयर स्क्वायर मीटर, एम्पीयर स्क्वायर मीटर के रूप में भी जाना जाता है

यदि किसी प्रोटोन को एक समान चुम्बकीय फील्ड में रख दिया जाये तो स्पिन करते हुए प्रोटोन से उत्पन्न मैग्नेटिक फील्ड आघूर्ण आउटर मैग्नेटिक फील्ड के प्रति दो ओरिएंटेशन में से एक को ग्रहण कर सकता हैं|इससे दो ओरिएंटेशन उत्पन्न होता हैं|

1.α-स्पिन अवस्था

एक ओरिएंटेशन आउटर फील्ड की डायरेक्शन में होता हैं जिसे α स्पिन अवस्था कहते हैं |

2. β-स्पिन अवस्था

दूसरा ओरिएंटेशन आउटर आउटर फील्ड के प्रति विपरीत डायरेक्शन में होता हैं जिसे β-स्पिन अवस्था कहते हैं|

प्रोटोन के स्पिन की इन दो दशाओं की एनर्जी में बहुत ही कम डिफरेंस होता हैं,α स्पिन की स्टेट लो एनर्जी वाली व् अधिक स्थाई होती हैं|जब कोई चुम्बक मैग्नेटिक फील्ड के साथ उसकी विपरीत डायरेक्शन में संरेखित रहता हैं तब यह उस स्टेट की तुलना में हाई एनर्जी की स्टेट में होता हैं|जबकि वह चुम्बक मैग्नेटिक फील्ड के साथ उसी डायरेक्शन में संरेखित रहता हैं|

1H के β-स्पिन की स्टेट α स्पिनकी स्टेट की तुलना में हाई एनर्जी की स्टेट के संगत होती हैं|प्रोटोन के मैग्नेटिक फील्ड के ओरिएंटेशन को स्थाई स्टेट (α स्पिन अवस्था) से अस्थाई स्टेट (β-स्पिन अवस्था)में लाने के लिए कुछ एनर्जी की नीड होती हैं| मतलब प्रोटोन के द्वारा hν(ΔE) एनर्जी के विकिरण के अवशोषण से एनर्जी की इन दशाओ में संक्रमण हो सकता हैं या किया जा सकता हैं|

प्रोटोन फ्लिपिंग

प्रोटोन को पलटने (फ्लिप ) के लिए नीड एनर्जी की मात्रा आउटर मैग्नेटिक फील्ड की प्रबलता पर निर्भर करती हैं|आउटर फील्ड की जीतनी अधिक होती हैं प्रोटोन में आउटर फील्ड के साथ उसकी दिशा में संरेखित रहने की प्रवृति उतनी अधिक रहती हैं तथा आउटर फील्ड के प्रति विपरीत दिशा में लाने के लिए उतनी ही अधिक एनर्जी की नीड होगी|प्रोटोन को फ्लिप करने के लिए नीड विकिरण की आवृति को निम्न प्रकार शो किया जा सकता हैं-

ΔE=2µH0

E=hν

ν=2µH0⁄h =µH0⁄2π

जहाँ ΔE =एनर्जी की दो स्टेट में डिफरेंस

ν= हर्ट्ज़ में आवृति

 H0= आरोपित मैग्नेटिक फील्ड की gaus ka niyam में प्रबलता

µ= नाभिकीय चुम्बकीय आघूर्ण जिसकी वैल्यू किसी नाभिक के लिए स्थिरांक होती हैं प्रोटोन के लिए इसका मान 26750 या 26.750 rad -1 टेस्ला -1 होता हैं|

Notes-[प्रोटोन का आवेश कितना होता है/एक प्रोटॉन पर विद्युत आवेश की मात्रा होती है]
[एक प्रोटॉन पर विद्युत आवेश की मात्रा होती है= +1.6×10^-19 कूलाम.]
एक सामान्य 1HNMR (PMR) स्पेक्ट्रोमीटर में 14092 gaus का मेग्नेटिक फील्ड आरोपित किया जाता हैं|इस मेग्नेटिक फील्ड में प्रोटान को फ्लिप करने के लिए 60 Mcps(मेगा साइकिल/से )या 60 MHz/60 मिलियन हर्ट्ज़ आवृति के एलेक्ट्रोमेग्नेटिक रेडिएशन की need होगी |प्रोटान को अनुनाद में लाने के लिए उपरोक्त बराबर (gaus और mhz) कंडीशन में होना चाहिए |
नोट्स–अनुनाद का मतलब प्रोटान की दशा में परिवर्तन ( α स्पिन से β-स्पिन डायरेक्शन )
आज कल हाई फ्रीक्वेंसी जैसे 100 mhz (23486 gaus के बराबर ) और 500 mhz तक के हाई resolution स्पेक्ट्रोमीटर बना लिए गए हैं|

NMR spectrometer

हाइड्रोजन नाभिक से सम्बंधित प्राप्त होने वाला NMR स्पेक्ट्रम 1H nmr या PMR स्पेक्ट्रम कहलाता हैं|यह किसी आर्गेनिक मॉलिक्यूल में डिफरेंट हाइड्रोजन ATOMS के दो स्पिन ओरिएंटेशन के उर्जा अंतर को

Number of Signals:=

एनएमआर स्पेक्ट्रम में संकेतों की संख्या एक अणु में समान प्रोटॉन के विभिन्न सेटों की संख्या बताती है। प्रत्येक संकेत समकक्ष प्रोटॉन के एक सेट से मेल खाता है। यह ध्यान दिया जा सकता है कि चुंबकीय रूप से समकक्ष प्रोटॉन रासायनिक रूप से समकक्ष प्रोटॉन होते हैं। आइए हम निम्नलिखित प्रकार के यौगिकों के समतुल्य प्रोटॉन (सिग्नल) के विभिन्न सेटों को खोजें:

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