Kharpatvaar Prabandhan Kya Hai Samjhayiye latest Quality 23

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खरपतवार प्रबंधन क्या है समझाइए?Kharpatvaar Prabandhan Kya Hai Samjhayiye ?

Kharpatvaar Prabandhan Kya Hai Samjhayiye ?खरपतवार से आप क्या समझते हैं?अगर बात कृषि के दौरान “खरपतवार” से हो रही है, तो इसका मतलब होता है कि फसल में नुकसान हो रहा है। खरपतवार का कारण कुछ भी हो सकता है, जैसे कि प्रकृति के अधिक उपहार या नष्टकारी की आवश्यकता वाले कीटों या बीमारियों के हमले आदि।

इससे फसल की उत्पादकता कम हो सकती है और फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है। खरपतवार को कम करने के लिए, किसान अपनी फसल की देखभाल करना, जैविक खेती तकनीक का उपयोग करना, समय पर समय पर उपहारों का सेवन करना और कीटनाशकों का सफलतापूर्वक उपयोग करना जैसे कुछ कदम उठा सकते हैं।

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Kharpatvaar Prabandhan Kya Hai Samjhayiye Latest 23

खरपतवार प्रबंधन क्या है समझाइए?

खरपतवार प्रबंधन उन सभी कृषि तकनीकियों और उपायों को सम्मिलित करता है जो उपज के खरपतवार को कम करने में मदद करते हैं। यह एक व्यवस्थित प्रक्रिया होती है जो फसल में नुकसान के कारणों का पता लगाने, उन्हें नियंत्रित करने और फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए समाधान प्रदान करती है।

खरपतवार प्रबंधन के लिए विभिन्न तकनीकियों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि समय पर समय पर उपहारों का सेवन, बीमारियों और कीटों के लिए नियंत्रण उपाय, जैविक खेती तकनीक, समय पर निर्णय लेना आदि।

खरपतवार प्रबंधन का उद्देश्य होता है कि खेती के क्षेत्र में उच्च उत्पादकता के साथ संभवतः सबसे कम नुकसान के साथ फसल की उत्पादकता को बढ़ाया जा सके। इससे किसानों की आय बढ़ती है, जिससे उन्हें अधिक सुविधाएं और विकास के अवसर मिलते हैं।

खरपतवार का प्रबंधन कैसे किया जाता है?

खरपतवार का प्रबंधन कृषि उपज के खरपतवार के कारणों को समझने और नियंत्रित करने के लिए विभिन्न उपायों का उपयोग करता है। खरपतवार के कारण होने वाली समस्याओं को पहचानने के लिए किसानों को अपनी फसल के लिए अनुकूल जांच करनी चाहिए ताकि वे उपयुक्त उपायों का उपयोग कर सकें।
खरपतवार के नियंत्रण के लिए कुछ सामान्य उपाय निम्नलिखित हैं:

समय पर समय पर जल देना और फसल को उचित मात्रा में पोषण देना।
जैविक खेती तकनीक का उपयोग करना।
समय पर समय पर नियंत्रण उपायों का उपयोग करना, जैसे कि कीटनाशक और रोगनाशक दवाओं का उपयोग करना।
फसल को समय पर हरी फसल और सुगंधित दवाओं से स्प्रे करना।
फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उपयुक्त फसल व्यवस्था बनाना।
समय पर समय पर फसल की जांच करना और खराब भागों को काट देना।
खरपतवार के समाधान के लिए उपरोक्त उपायों का संयोजन करना आवश्यक होता है।

खरपतवार प्रबंधन के उद्देश्य क्या हैं?

खरपतवार प्रबंधन के उद्देश्य कुछ निम्नलिखित हैं:

खरपतवार को कम करना: खरपतवार प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य खेती उत्पादन में होने वाले खरपतवार को कम करना होता है। यह उद्देश्य खेती उत्पादन में स्थिरता और उत्पादकता के लिए आवश्यक होता है।

फसल उत्पादकता में सुधार करना: खरपतवार के नियंत्रण से फसल की उत्पादकता में सुधार होता है। यह उद्देश्य फसल उत्पादन में वृद्धि करने और किसानों की आय को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

खेती उत्पादन के स्तर को बढ़ाना: खरपतवार प्रबंधन का उद्देश्य खेती उत्पादन के स्तर को बढ़ाना होता है। इस उद्देश्य के अंतर्गत, उचित जलवायु, उपयुक्त बुवाई और उत्तम उर्वरक आदि के सही उपयोग के माध्यम से खेती उत्पादन को बढ़ाया जाता है।

जैविक खेती तकनीक का प्रचार करना: खरपतवार प्रबंधन का एक उद्देश्य जैविक खेती तकनीक के प्रचार को बढ़ाना होता है।

खरपतवार के कितने प्रकार होते हैं?

खरपतवार कई तरह के होते हैं और ये निम्नलिखित हो सकते हैं:

फसल के अनुसार: फसलों के अनुसार खरपतवार कई तरह के होते हैं, जैसे चावल, गेहूँ, मक्का, सोयाबीन, घेंण, आदि।
कार्यों के अनुसार: खरपतवार के अनुसार ये फसलों की उपज बढ़ाने वाले कामों के अनुसार भी होते हैं जैसे की जैविक खेती, सिंचाई और प्रकृति के अनुकूल खेती।

उपयोग के आधार पर: खरपतवार उपयोग के आधार पर भी अलग-अलग होते हैं, जैसे उन्हें खाद या कीटनाशकों के लिए इस्तेमाल किया जाता है या फिर सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।

वित्तीय आधार पर: खरपतवार वित्तीय आधार पर भी अलग-अलग होते हैं, जैसे की स्व-भावशाली खेती, आधारशील खेती, इत्यादि।
इस तरह से खरपतवार कई प्रकार के होते हैं और इन्हें किसान अपनी ज़मीन और उत्पादन के अनुसार चुनते हैं।

खरपतवार नियंत्रण के तरीके क्या है?

खरपतवार नियंत्रण के कुछ मुख्य तरीके निम्नलिखित हैं:

जैविक नियंत्रण: इस तकनीक में कीटनाशकों के स्थान पर जैविक एजेंट जैसे कीट-मिट्टी के रोग-जीवाणु, परजीवी, प्राकृतिक शत्रु जैसे जंगली पक्षियों या कीटों के प्रयोग से खरपतवारों को नियंत्रित किया जाता है।

रसायन नियंत्रण: यह तकनीक कीटनाशकों या फंगस के उपयोग से खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए होती है। इस तकनीक का उपयोग केवल जरूरत पड़ने पर ही करना चाहिए ताकि प्रदूषण कम हो सके।

मानसून की उपयोग: मानसून के उपयोग से खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है। वर्षा के समय बारिश वर्षा के समय समूचे खेत को बारिश जल द्वारा धो देती है जिससे खरपतवारों के जीवाणुओं और कीटों की संख्या कम हो जाती है।

फसल फैसले की प्रबंधन: इस तकनीक में, एक ही फसल को समान जगह पर नहीं बोया जाता है ताकि एक ही जगह पर समान फसल न हों।

एकीकृत खरपतवार प्रबंधन

एकीकृत Kharpatvaar Prabandhanएक ऐसी रणनीति है जो खरपतवारों के संबंधित सभी पहलुओं के संयुक्त एवं संगठित रूप से प्रबंधन के माध्यम से खरपतवार के प्रभाव को कम करने का लक्ष्य रखती है। यह एक सुसंगत तरीका है जो खरपतवारों के नियंत्रण एवं प्रबंधन को संयुक्त ढंग से आवश्यकतानुसार करती है।

एकीकृत Kharpatvaar Prabandhan में, विभिन्न तकनीकों का एक संयोजन होता है जो खरपतवार के संभव प्रभावों को समझते हुए उन्हें नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इसमें समझौते की जानकारी, तकनीकी ज्ञान, अनुभव एवं अन्य संसाधनों का संयोजन किया जाता है जो खरपतवार के प्रभाव को कम करने में मदद करता है।

एकीकृत खरपतवार प्रबंधन अधिक अनुकूल होता है तथा कृषि उत्पादन को बढ़ाने के साथ साथ खरपतवार को कम करने में भी सक्षम होता है।

खरपतवार प्रबंधन के सिद्धांत

खरपतवार प्रबंधन के कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं जो निम्नलिखित हैं:

समझौता की भूमिका: समझौता एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो खरपतवार प्रबंधन के लिए आवश्यक होता है। समझौता के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर अनुभव एवं ज्ञान का संयोजन किया जाता है।

स्थानीय ज्ञान की मूलभूतता: Kharpatvaar Prabandhan के लिए स्थानीय ज्ञान की मूलभूतता होती है। स्थानीय ज्ञान के माध्यम से अनुभवों का संयोजन किया जाता है जो उचित खरपतवार प्रबंधन के लिए उपयोगी होते हैं।

सहयोग: Kharpatvaar Prabandhan के लिए सहयोग एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। सहयोग के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर ज्ञान एवं संसाधनों का संयोजन किया जाता है जो Kharpatvaar Prabandhan के लिए आवश्यक होते हैं।

सुसंगत तकनीक: Kharpatvaar Prabandhan के लिए सुसंगत तकनीक उपलब्ध होना चाहिए। सुसंगत तकनीक के माध्यम से Kharpatvaar Prabandhan के लिए उचित उपाय आवश्यक होता है।

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खरपतवार नियंत्रण की विधियां

Kharpatvaar Prabandhan की विभिन्न विधियां हैं जो निम्नलिखित हैं:

जैविक नियंत्रण: जैविक नियंत्रण एक प्राकृतिक विधि है जो खरपतवार के जीवाणुओं, कीटों एवं संरक्षक जीवों को नियंत्रित करने के लिए प्रयोग की जाती है। इसमें खेती के लिए सही जैविक उर्वरक, रोग प्रतिरोधी वातावरण, और जीवाणुओं को विनाशकारी जीवाणु के माध्यम से खरपतवार से बचाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

रसायन नियंत्रण: रसायन नियंत्रण एक तकनीक है जो खरपतवार नियंत्रण के लिए रसायनों का प्रयोग करती है। इसमें रसायनों के माध्यम से कीटों और अन्य संभवतः हानिकारक प्राणियों के विनाश का प्रयोग किया जाता है।

मैकेनिकल नियंत्रण: मैकेनिकल नियंत्रण खरपतवार नियंत्रण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दो विधियों में से एक है। इसमें मैकेनिकल संचालन और उपकरणों का प्रयोग किया जाता है जैसे कि खेती उपकरणों जैसे कि हल, खुर्पी आदि।

खरपतवार नियंत्रण क्यों आवश्यक है

खरपतवार नियंत्रण आवश्यक है क्योंकि खरपतवार समस्याएं अधिक खर्चिले होती हैं, उत्पादकता को कम करती हैं और खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी की गुणवत्ता को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। खरपतवार संक्रमण के कारण फसलों की मृत्यु हो सकती है जो फसल के मूल्य को नुकसान पहुंचाती है।

खरपतवार नियंत्रण उन्नत खेती के लिए आवश्यक है क्योंकि इससे फसल की उत्पादकता बढ़ती है और फसल की गुणवत्ता भी उन्नत होती है। इससे किसान अपनी फसल की खेती को बेहतरीन तरीके से प्रबंधित कर सकते हैं और खरपतवार से बचने के उपाय भी जान सकते हैं। खरपतवार नियंत्रण न करने से खेती और फसल उत्पादन पर असर पड़ता है जिससे फसल के मूल्य में कमी आती है।

खरपतवार नाशक दवाइयों के नाम list

खरपतवार नाशक दवाओं की एक सूची है:

इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid)
थायमेथोक्सम (Thiamethoxam)
क्लोथियानिडिन (Clothianidin)
एसीटामिप्रिड (Acetamiprid)
थियामेथोक्सम + लम्बडा सायहलोथ्रीन (Thiamethoxam + Lambda-Cyhalothrin)
डायमेथोएट (Diamethoate)
डेलटमेथ्रिन (Deltamethrin)
फिप्रोनिल (Fipronil)
कार्बोफुरान (Carbofuran)
एन्डोसल्फान (Endosulfan)
यह सूची अधिकतर खरपतवार नाशक दवाओं को शामिल करती है, लेकिन यह सूची अन्य दवाओं से अधिक हो सकती है जो भिन्न-भिन्न देशों या क्षेत्रों में उपलब्ध होते हैं। खेती विशेषज्ञों या कृषि विद्यार्थियों से अधिक जानकारी लेने के लिए स्थानीय कृषि विभाग या कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क करना उपयोगी होगा।

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