Fasal-Yojana-Prabandhan 2023 useful

Fasal-Yojana-Prabandhan 2023 useful

Fasal-Yojana-Prabandhan| यह एक कृषि बीमा योजना है, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों को अपनी फसलों के नुकसान से बचाना है। इस योजना में, किसानों को फसल के नुकसान की एक निश्चित राशि का मुआवजा दिया जाता है, जो उनके किसानी खेती के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता है।

यह योजना में, सरकार, राज्य सरकार और किसान सभी भाग लेते हैं। किसान अपनी फसल के लिए बीमा करवाते हैं और फसल के नुकसान के मामले में निश्चित राशि का मुआवजा प्राप्त करते हैं।

सरकार और राज्य सरकार सब्सिडी प्रदान करते हैं, जो किसानों के लिए बीमा करने की लागत कम करती है। यह योजना का प्रबंधन केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को बीमा के लिए पंजीकृत किया जाता है और उन्हें नुकसान के मामले में तुरंत मुआवजा दिया जाता है। प्रबंधन एक निर्णय लेता है कि कौन सी क्षेत्रों में फसलों के लिए बीमा उपलब्ध होनी चाहिए|

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Fasal-Yojana-Prabandhan

फसल योजना क्या है?

यह योजना एक कृषि बीमा योजना है जो भारत सरकार द्वारा चलाई जाती है। यह योजना किसानों को उनकी फसल के नुकसान से बचाने और उन्हें फसल से होने वाली नुकसानों के लिए मुआवजा प्रदान करने के लिए बनाई गई है। इस योजना के तहत, किसान अपनी फसल का बीमा करवा सकते हैं जिससे वे फसल के किसी भी नुकसान के मामले में निश्चित राशि का मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को फसल बीमा के माध्यम से उनकी फसलों के नुकसान से बचाना है जो उन्हें वित्तीय हानि से बचाकर उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाता है। यह योजना सभी भारतीय किसानों के लिए उपलब्ध है और इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में उन्नति और आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाना है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्या है?

यह बीमा योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक कृषि बीमा योजना है। यह योजना 2016 में शुरू की गई थी और किसानों को उनकी फसलों के नुकसान से बचाने और उन्हें फसल से होने वाली नुकसानों के लिए मुआवजा प्रदान करने के लिए बनाई गई थी।

इस योजना के तहत, किसान अपनी फसल का बीमा करवा सकते हैं जिससे वे फसल के किसी भी नुकसान के मामले में निश्चित राशि का मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना में सरकार, राज्य सरकार और किसान सभी भाग लेते हैं। किसान अपनी फसल के लिए एक निश्चित राशि देते हैं।

जो उन्हें फसल के नुकसान के मामले में मुआवजा के रूप में दी जाती है। सरकार और राज्य सरकार भी इस योजना में भाग लेते हैं और किसानों को सब्सिडी देते हैं।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को फसल बीमा के माध्यम से उनकी फसलों के नुकसान से बचाना है जो उन्हें वित्तीय हानि से बचाकर उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाती हैं|

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्लेम

यह बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) के अंतर्गत किसानों को उनकी फसलों के नुकसान से बचाने के लिए बीमा की सुविधा प्रदान की जाती है। यह योजना किसानों को अपनी फसलों के नुकसान पर आर्थिक मदद प्रदान करने के लिए बनाई गई है।

जब किसान अपनी फसलों को बीमा करता है तो उसे अपनी फसल के नुकसान के आधार पर आर्थिक मदद प्रदान की जाती है। बीमा कंपनी या संबंधित सरकारी विभाग द्वारा किसानों को नुकसान की राशि भुगतान की जाती है।

इस योजना के अंतर्गत किसान फसल के नुकसान की शुरुआत से लेकर उसकी पक्की हो जाने तक का समय बीमा करवा सकते हैं।यदि किसान को फसल में नुकसान होता है तो उसे अपनी बीमा कंपनी को इस बारे में सूचित करना होगा।

फिर बीमा कंपनी किसान की फसल की कीमत तय करेगी और नुकसान की राशि उसे देने के लिए तैयार हो जाएगी। किसान को बीमा कंपनी या संबंधित सरकारी विभाग द्वारा नुकसान की राशि भुगतान की जाएगी।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कब शुरू हुई

यह बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) 13 जनवरी, 2016 को शुरू की गई थी। यह योजना किसानों को उनकी फसलों के नुकसान से बचाने और उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए बनाई गई है।

इस योजना के अंतर्गत, किसानों को अपनी फसलों की बीमा कराने की सुविधा दी जाती है जिससे वे अपनी फसलों के नुकसान पर आर्थिक मदद प्राप्त कर सकते हैं। यह योजना भारत के सभी राज्यों में लागू है।

फसल बीमा लिस्ट

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की लिस्ट राज्यों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है। इस योजना के तहत बीमा की जा सकने वाली फसलों की सूची राज्य सरकारों द्वारा तैयार की जाती है। हालांकि, कुछ मुख्य फसलों के लिए देशभर में बीमा की सुविधा होती है जैसे-
धान
गेहूं
जौ
मक्का
चना
उड़द
मूंग
सोयाबीन
तम्बाकू
तम्बाखू
इसके अलावा, अन्य फसलों के लिए भी राज्य सरकारों द्वारा बीमा योजना तैयार की जाती है जो राज्य के क्षेत्रीय जलवायु और फसलों के आधार पर अलग-अलग होती है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत कहां से हुई

यह बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) की शुरुआत भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री आटल बिहारी वाजपेयी जी के द्वारा 2000-2001 में की गई थी, लेकिन उस समय यह योजना केवल कुछ चुने राज्यों में ही लागू थी।

फिर, 2016 में वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस योजना को पुनर्जीवित करने के लिए नई रूपरेखा बनाई और उसे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम से प्रस्तुत किया। यह नई योजना 13 जनवरी, 2016 को शुरू की गई थी और यह देशभर में लागू होती है।

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फसल बीमा योजना का लाभ कैसे मिलेगा?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को निम्नलिखित तरह से लाभ होता है:

अपवाद प्रतिफल: योजना के अंतर्गत अगर किसान की फसल किसी अपवाद से नुकसान उठाती है तो उसे उसकी नुकसानी राशि मिलती है।
आवागमन बीमा: यदि अचानक आने वाली अधिक वर्षा, जलवायु परिवर्तन या बाढ़ के कारण फसल को नुकसान पहुंचता है, तो इस योजना से किसान को नुकसान का मुआवजा दिया जाता है।

सामूहिक बीमा: यदि किसानों की कुल फसल परिसंचय से बढ़ती है, तो इस योजना के तहत उन्हें उनकी फसल की कुल आमदनी का एक निश्चित प्रतिशत भी मिलता है।

फसल बीमा प्रीमियम का अंशदान: सरकार द्वारा फसल बीमा प्रीमियम का एक अंशदान किया जाता है, जो किसान के लिए उसके फसल की बीमा करवाने में सहायता करता है।इन सभी लाभों के अलावा, इस योजना के द्वारा किसान अपनी फसल को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकते हैं जिससे उनके उत्पादकता और आमदनी में वृद्धि हो सकती है।

2022 फसल बीमा कब मिलेगा?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को हरित विकास निधि योजना (पीएमकेवी) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत बीमा कवरेज प्रदान की जाती है। प्रत्येक वर्ष, फसल बीमा की अधिसूचना की घोषणा जनवरी-फरवरी के दौरान की जाती है। अधिसूचना के बाद, किसानों को फसल बीमा के लिए आवेदन करने का समय दिया जाता है।

तारीखों को स्थानीय कृषि विभाग द्वारा निर्धारित किया जाता है।इसलिए, 2022 फसल बीमा की अधिसूचना जनवरी-फरवरी के दौरान होनी चाहिए और बाद में आवेदन की तिथियों की घोषणा की जाएगी। किसानों को अपने स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क करना चाहिए जिससे वे फसल बीमा योजना के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें।

फसल बीमा योजना कैसे करें?

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसलों के बीमा के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाना चाहिए:

स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क करें: फसल बीमा योजना के लिए आवेदन करने से पहले, आपको अपने स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क करना चाहिए। आप अपने निकटतम कृषि विभाग के दफ्तर में जा सकते हैं और फसल बीमा के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
आवेदन पत्र भरें: आवेदकों को फसल बीमा के लिए आवेदन पत्र भरना होगा।

आवेदन पत्र में आपको अपने नाम, पता, फसल का नाम, फसल की बोनत, फसल की कटाई आदि की जानकारी भरनी होगी।
बीमा योग्यता के लिए विश्लेषण: आपके आवेदन पत्र के साथ, कृषि विभाग अपनी टीम को भेजेगा जो आपकी फसल की बोनत, जीवाणु संक्रमण, सूखे और बाढ़ के खतरों को मूल्यांकन करेगी। आधार पर, आपकी फसल बीमा योजना में शामिल होने की योग्यता का फैसला लिया जाएगा।
बीमा कर:

फसल उत्पादन प्रबंधन क्या है?

फसल उत्पादन प्रबंधन का मतलब होता है कि कृषकों द्वारा की जाने वाली खेती के उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न तकनीकों, तरीकों और समुदायों का उपयोग करना। यह उत्पादन प्रक्रिया के सभी चरणों – उत्पादन, प्रबंधन, नियोजन, नियंत्रण और विपणन तक को सम्मिलित करता है।

फसल उत्पादन प्रबंधन के लक्ष्यों में से एक मुख्य लक्ष्य यह होता है कि कृषि उत्पादन के स्तर को बढ़ाने के लिए बेहतर तकनीक और सम्पूर्ण फसल उत्पादन चक्र के प्रत्येक घटक को अधिक उत्पादक बनाया जाए। इसके अलावा, इसका एक और महत्वपूर्ण लक्ष्य होता है कि फसल उत्पादन प्रबंधन अनुशंसित तकनीकों के उपयोग के माध्यम से खेती का पर्यावरण संरक्षण करता है जो कि बिना संतुलित रूप से किसानों और पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है।

जैविक खेती में फसल योजना एवं प्रबंधन की क्या आवश्यकता है?

जैविक खेती में फसल योजना एवं प्रबंधन की आवश्यकता बढ़ती जा रही है क्योंकि जैविक खेती के उत्पादों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

फसल योजना एवं प्रबंधन की विशेष आवश्यकता उस समय होती है जब फसल की खेती में समस्याएं उत्पन्न होती हैं जैसे कि बुखार, जंगली जानवरों के हमले, जमावड़ा, सूखा, वर्षा की कमी, विषाणु खतरे आदि।

इन समस्याओं का समाधान करने के लिए फसल योजना एवं प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
जैविक खेती में फसल योजना एवं प्रबंधन के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि जैविक खेती के सूचना प्रणाली, जैविक खाद का उपयोग, बुग और संक्रमण रोकथाम, उन्नत बीज प्रौद्योगिकी, प्रतिरक्षा शक्ति का विकास आदि।

जैविक खेती में फसल योजना एवं प्रबंधन की आवश्यकता उत्पादकों को अधिक उत्पादक बनाने और उनके उत्पादों की मांग को पूरा करने में मदद करती है।

फसल उत्पादन से आप क्या समझते हैं?

फसल उत्पादन से अर्थ होता है कि खेती से सम्बंधित फसलों की उत्पादन प्रक्रिया जिसमें किसान विभिन्न फसलों को उगाते हैं, जैसे कि अनाज, दालें, सब्जियां और फल।

फसल उत्पादन की प्रक्रिया किसानों द्वारा बुआई, सिंचाई, खाद डालना, कीटनाशकों का उपयोग, फसल की कटाई और अन्य संबंधित कार्यों से मिलती है। फसल उत्पादन अहम है क्योंकि इससे हमें खाद्य फसलों की आपूर्ति होती है जो हमारे खाद्य आहार का मुख्य स्रोत है।

फसलों की सुरक्षा कैसे करें?

फसलों की सुरक्षा करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

फसल बीमा योजना: किसान अपनी फसल को प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, तूफान, भूकंप, सूखा आदि से सुरक्षित रखने के लिए फसल बीमा योजना में शामिल हो सकते हैं।
समय पर बुआई: फसल की बुआई उस समय की जाना चाहिए जब उसकी उत्पादकता ज्यादा होती है और मौसम की स्थिति भी उसे नुकसान नहीं पहुंचाती है।

सिंचाई की व्यवस्था: सिंचाई के लिए नियमित जल आपूर्ति की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे की फसलों की नुकसान न हो।
उन्नत तकनीक: उन्नत तकनीक का उपयोग करके, किसान फसलों की देखभाल कर सकते हैं और अधिक उत्पादक फसल प्राप्त कर सकते हैं। उन्नत तकनीक के उपयोग से किसान फसलों की नुकसान से बच सकते हैं।

कीट प्रबंधन: कीट प्रबंधन के लिए जीवाणु युक्त उत्पादों के उपयोग की जानी चाहिए, जिससे कीटों से फसलों की सुरक्षा होती है।
नियमित देखभाल:

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