Crystal Field Theory 100% Useful

Crystal Field Theory 100% Useful
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Crystal Field Theory 100% Useful.उप-सह संयोजक यौगिक को ओर आगे समझते हुए संयोजकता बंध सिद्धांत में जो कमियां थी उसे जिस सिद्धांत के द्वारा दूर किया गया उसका नाम क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धांत कहते हैं|

इसमें हम जानेंगे कि संकुल बनते समय जब प्रबल लिगंड d ऑर्बिटल में प्रवेश करता हैं तब इलेक्ट्रान का युग्मन होता हैं| एवं जब दुर्बल लिगंड d-ऑर्बिटल में प्रवेश करता हैं तो युग्मन नहीं होता हैं |

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क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धांत के मुख्य बिंदु क्या हैं?

क्रिस्टल फील्ड सिद्धांत के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं :-Crystal Field Theory 100% Useful

  • लिगंड और central metal atom के बीच उप सह्संयोजन बंध का बनना|
  • केन्द्रीय धातु परमाणु के इलेक्ट्रान और लिगंड के इलेक्ट्रान के बीच प्रतिकर्षण
  • प्रबल Ligands द्वारा d ऑर्बिटल में इलेक्ट्रान का युग्मन एवं दुर्बल लिगंड द्वारा इलेक्ट्रान युग्मन नहीं होना |
  • d upkosh के सभी कक्षक समान उर्जा के होते हैं इन्हें degenrate d कक्षक कहते हैं|
  • d कक्षक के तीन orbital को t2g कहते हैं एवं दो कक्षक को eg कक्षक कहते हैं |
  • Octahedral संकुल में Ligands eg कक्षक को प्रतिकर्षित करते हैं,जिससे d orbital का विपाटन हो जाता हैं|
  • Tetrahedral Complex में लिगंड t2g orbital को प्रतिकर्षित करता हैं |
  • t2g orbital अक्षों के मध्य एवं eg कक्षक अक्षों पर होता हैं | Octahedral संकुल में लिगंड डायरेक्ट अक्षो पर आता हैं |और Tetrahedral संकुल में लिगंड अक्षो के मध्य आता हैं
  • Ligands के आने के पूर्व d कक्षक की उर्जा समान होती हैं लेकिन Ligands के आने पर कक्षको की उर्जा समान नहीं रहा पाती हैं|

क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धांत क्या है यह संयोजकता बंध सिद्धांत से किस प्रकार अंतर दर्शाता है?Crystal Field Theory 100% Useful

हम यह जानते हैं कि जब उप-सह संयोजक योगिक बनता हैं तो उसमे जो Cental धातु परमाणु होता हैं|उसके रिक्त d कक्षक में लिगंड अपने दो इलेक्ट्रान(इलेक्ट्रान युग्म ) लेकर आता हैं तो octahedral में लिगंड 6 तरफ से आते हैं|x अक्ष के दोनों तरफ से,y अक्ष में ऊपर और नीचे से एवं z अक्ष में दोनों तरफ से आते हैं|चित्रानुसार अवलोकन करें :-

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अब यहाँ पर एक बात ध्यान रखना हैं कि जब लिगंड octahedral संकुल में केन्द्रीय परमाणु के रिक्त d orbital में इलेक्ट्रान युग्म लेकर आता हैं तो केन्द्रीय धातु के d कक्षक में पहले से ही इलेक्ट्रान होते हैं| हम यह जानते हैं इलेक्ट्रान-इलेक्ट्रान में प्रतिकर्षण होता हैं|octahedral संकुल के उदहारण को देखते हैं:-[Cr(NH3)6]3+ इस संकुल में NH3 प्रबल लिगंड हैं|

d upkosh में 5 ऑर्बिटल इस प्रकार होते हैं:- चित्र

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यह प्रबल लिगंड जब अक्षो से होकर d ऑर्बिटल में प्रवेश करता हैं तो सामने Cr के eg कक्षक को सबसे ज्यादा प्रतिकर्षण के सामना करना पड़ता हैं |यहाँ तक तो समझ आ गया कि प्रतिकर्षण होता हैं| लेकिन d upkosh में किस कक्षक पर ज्यादा प्रतिकर्षण होगा यह d orbital के चित्र से स्पष्ट होगा जो उपर दिया हैं |

d upkosh की संरचना को देखा आपने जिसमे 3 ऑर्बिटल अक्षों के मध्य हैं और 2 अक्षो पर हैं |जब लिगंड अपना इलेक्ट्रान युग्म लेकर आते हैं तो चित्र 1 के अनुसार octahedral में 6 तरफ से आते हैं |और वो अक्ष पर आते हैं|यहाँ एक बात गौर करने वाली हैं,कि लिगंड अक्ष पर आते हैं,तो हमने पहले ही ज़िक्र किया हैं कि t2g कक्षक अक्षो के मध्य होते हैं और eg कक्षक अक्षो पर होते हैं|

अत:लिगंड अक्षों पर जो कक्षक होता हैं उसे जयादा प्रतिकर्षित करते हैं (मतलब eg कक्षक(dx2y2,dz2 को ) बजाय जो अक्षो के मध्य(dxy,dyz,dzx) होते हैं |

क्रिस्टल क्षेत्र विभाजन से क्या अभिप्राय है?Crystal Field Theory 100% Useful

चूँकि d कक्षक की सभी कक्षक की उर्जा समान होती हैं इस कारण इसे degenrate orbital कहते हैं| लिगंड के प्रतिकर्षण के कारण इनकी उर्जा में परिवर्तन हो जाता हैं|इन्हें नॉन-degenrate orbital कहते हैं |d कक्षक एक से अधिक भिन्न उर्जा वाले समूहों में विघटित हो जाता हैं|इस प्रकार धातु आयन के 5 d orbitals का लिगंड के प्रभाव से भिन्न उर्जा के 2 ग्रुप या सेट में विघटन को क्रिस्टल क्षेत्र विघटन या विपाटन कहते हैं|

अधिकांश धातु 4 या 6 लिगंड से घिरकर octahedral, tetrahedral या वर्ग समतलीय संरचना बनाते हैं |क्रिस्टल क्षेत्र विघटन विभिन्न ज्योमेट्री पर अलग-अलग होता हैं|

किसी संकुल में लिगंड क्षेत्र प्रभाव के कारण धातु आयन के d orbitals के विघटित दो समूहों या सेट्स की उर्जाओ में अंतर को क्रिस्टल क्षेत्र विघटन उर्जा कहते हैं |इस उर्जा को :-

उपलेख ‘0’Octahedral संकुल के लिए (𐤃o)

‘t’tetrahedral संकुल के लिए (𐤃t)

‘sp’ वर्ग समतलीय संकुल के लिए (𐤃sp) लिखा जाता हैं |

Octahedral संकुलों में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन -Crystal Field Theory 100% Useful

चूँकि लिगंड अक्षो पर आते हैं तो उनके मार्ग में अक्षीय eg d orbital (dx2-y2 )की पलियां (lobes) आती हैं |अत:eg orbitlas पर इलेक्ट्रान प्रतिकर्षण का प्रभाव अनाक्षीय t2g orbitals (dxy,dyzdxz) की तुलना में अधिक होता हैं|इस प्रकार 5 d orbitals 2 विभिन्न उर्जा समूहों (eg और t2g) में विघटित (spilt)हो जाते हैं |

यहाँ, eg समूह की उर्जा,अविभाजित अवस्था से उच्च(high) तथा t2g समूह के orbitals की उर्जा,अविभाजित अवस्था से निम्न (low) होती हैं|orbitals की उर्जाओं के गुरुत्व का केंद्र अपरिवर्तित रहता हैं|

t2g तथा eg समूह के orbitals के मध्य पाए जाने वाले उर्जा के अंतर को 𐤃o या 10 Dq को क्रिस्टल क्षेत्र विघटन उर्जा कहते हैं|

:-चित्रानुसार जब लिगंड्स प्रबल हो

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eg orbitals की उर्जा,औसत स्तर या परिकल्पित ह्रासित d-ऑर्बिटल से +0.6 𐤃o(=6 Dq) अधिक होती हैं| तथा t2g orbitals की उर्जा ,औसत स्तर या परिकल्पित ह्रासित d-ऑर्बिटल से -0.4 𐤃o(=-4 Dq) कम होती हैं|उर्जा की इस कमी या वृद्धि को क्रमश:- तथा + sign लगाकर प्रदर्शित करते हैं|

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इसका उदहारण [Co(NH3)6]3+ काम्प्लेक्स है,इसमें NH3 Strong लिगंड्स हैं|इसमें t2g orbitals एवं eg orbitals में इलेक्ट्रान का वितरण hund के नियमानुसार नहीं होता हैं|

जब लिगंड्स दुर्बल हो-Crystal Field Theory 100% Useful

Octahedral संकुलों में दर्बल लिगंड्स के प्रभाव में t2g orbitals एवं eg orbitals के बीच 𐤃o का मान अपेक्षाकृत कम होता हैं|दुर्बल लिगंड के क्षेत्र में 𐤃o का मान इतना नहीं होता कि वह युग्मन करा सके |अत: इलेक्ट्रान का वितरण hund के नियमानुसार होता हैं|

t2g 1,2,3 eg 4 ,5 t2g 6,7,8 eg 9, 10 इसका उदहारण [CoF6]3- संकुल हैं इसमें F – दुर्बल लिगंड हैं|

डायग्राम प्रबल एवं दुर्बल लिगंड की दशा में :-चित्रानुसार

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दुर्बल लिगंड के केस में लिगंड अक्षो के मध्य आते हैं|यहाँ पर इनके रास्ते में t2g orbital होते हैं |

अत:t2g orbitlas पर इलेक्ट्रान प्रतिकर्षण का प्रभाव egorbitals (dxy,dyzdxz) की तुलना में अधिक होता हैं|इस प्रकार 5 d orbitals 2 विभिन्न उर्जा समूहों (eg और t2g) में विघटित (spilt)हो जाते हैं |

यहाँ, t2gसमूह की उर्जा,अविभाजित अवस्था से उच्च(high) तथा eg समूह के orbitals की उर्जा,अविभाजित अवस्था से निम्न (low) होती हैं

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