Chromophore-Auxochrome Samuh Kya Hote Hain?5 Strong Reason

Chromophore-Auxochrome Samuh Kya Hote Hain?5 Strong Reason.इस ब्लॉग में बीएससी फाइनल के आर्गेनिक केमिस्ट्री की फिफ्थ यूनिट के imp प्रश्न का उत्तर मिलेगा|यह एग्जाम के हिसाब से बहुत ही इम्पोर्टेन्ट हैं ।
Chromophore-Auxochrome Samuh Kya Hote Hain?5 Strong Reason
रंग व संरचना (Colour and Constitution) -ग्राएबे व लिबरमेन (1868) द्वारा यह प्रेक्षित किया गया कि अपचयन पर कार्बनिक रंगीन पदार्थ एक रंगहीन उत्पाद देता है, जो कि ऑक्सीकरण पर मूल रंग पुनः प्राप्त कर लेता है।
रंग व संरचना के बीच सम्बन्ध इस प्रकार से सबसे पहले सन् 1876 में जर्मन केमिस्ट ऑटोविट द्वारा दिया गया। उन्होंने रंग व संरचना के लिए कोमोफोर ऑक्सोक्रोम सिद्धान्त दिया। उनके अनुसार,
(i) रंग सामान्यतः कार्बनिक यौगिक में दृश्य होता है, जब उसमें कुछ असंतृप्त समूह होते हैं, जिनमें बहुबन्ध युक्त समूह उपस्थित हों।
विट
(Witt) ने बहुबन्ध युक्त समूहों को क्रोमोफोर (Chromophores) कहा। कुछ महत्वपूर्ण क्रोमोफोर
इस प्रकार हैं-

(ii) यौगिक जो कि क्रोमोफेरिक समूह युक्त होते हैं, क्रोमोजन कहलाते हैं। यह पाया गया है कि क्रोमोजन जिसमें सिर्फ एक क्रोमोफोर होता है, सामान्यतः पीला होता है। रंग की गहराई क्रोमोफोर की संख्या के साथ बढ़ती है।
एक एकल C = C समूह, जैसा कि एथीलिन (CH) = CH2) में है कोई रंग उत्पन्न नहीं करता है। रंग उत्पन्न होता है, यदि ऐसे कई समूह संयुग्मन में उपस्थित हों।
उदाहरण के लिए, CH, – (CH – CH), – CH, रंग में पीला है।
(CH=CH),-CH,
(iii) कुछ समूह जो कि रंग के विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं स्वयं कोई रंग उत्पन्न नहीं करते हैं। जब वे एक क्रोमोफोर समूह युक्त यौगिक में प्रवेश कराये जाते हैं, तब यह रंग को गहरा करते हैं। विट के अनुसार, यह ऑक्सोक्रोम या रंग को गहरा करने वाले (Deepeners) हैं।
कुछ महत्वपूर्ण ऑक्सोक्रोम हैं-
-OH
-OR
-NH2
Hydroxyl
Alkoxy
Amino
-NHR
-NR2
Alkylated
Amino
ऑक्सोक्रोम साल्ट बनाने वाले समूह हैं व दो कार्य करते हैं-
(a) ये क्रोमोफोर के रंग को गहरा करते हैं।
(b) इनकी उपस्थिति क्रोमोजन को रंजक बनाने के लिए आवश्यक है।
ऑक्सोक्रोम समूह के प्रभाव का रोचक उदाहरण निम्न यौगिकों के साथ नोट किया जा सकता है-

सल्फोनिक व कार्बोक्सिल एसिड समूह में बहुत कम ऑक्सोक्रोमिक गुण होते हैं, लेकिन इनकी उपस्थिति एक क्रोमोजन को रंजक बनाती है। सल्फोनिक अम्ल समूह की उपस्थिति जल में विलेय रंजक बनाती । कार्बोक्सिल अम्ल समूह की उपस्थिति के कारण अनेक रंजक लेक्स (Lakes) बनाती हैं।
प्रयोगात्मक अनुभवों के आधार पर अनेक प्रेक्षण देखे गये। उदाहरण के लिए, फीनॉल की स्थिति में यह पाया गया है कि—Chromophore-Auxochrome
(a) फीनॉल के लवण स्वतन्त्र फीनॉल की अपेक्षा प्रबल रूप से रंगीन हैं।
(b) ऑक्सोक्रोम जब क्रोमोफोर से मेटा-स्थिति में उपस्थित होते हैं तो वह रंग को प्रभावित नहीं करते हैं। इस प्रकार से रंग व संरचना के विट सिद्धान्त (Witt’s theory) के अनुसार,
क्रोमोजन एक क्रोमोफोर युक्त यौगिक है व रंजक एक ऑक्सोक्रोम युक्त क्रोमोजन माना जा सकता है। उदाहरण के लिये, p- हाइड्रॉक्सी ऐजोबेन्जीन-

N = N क्रोमोफोर है व-OH एक ऑक्सोक्रोम है। इसी प्रकार, पिक्रिक अम्ल में (A yellow dye) ट्राइनाइट्रोबेन्जीन (T.N.B.) क्रोमोजन है, जो तीन NO2 समूह (Chromophores) युक्त है।

यहाँ – OH समूह एक ऑक्सोक्रोम है।
कुछ अन्य समूह बैथोक्रोमिक व हिप्सोक्रोमिक समूह कहलाते हैं। बैथोक्रोमिक समूह रंजक के रंग को गहरा करते हैं, जबकि हिप्सोक्रोमिक समूह रंग को हल्का करते हैं। रंग को गहरा करने से अभिप्राय रंगों में निम्न परिवर्तन से है-
Yellow→→→→→ Orange-→Red→→→→ Purple……..>Blue-→Green→→→→→ Black.
यह वास्तव में पहले सारिणी में दिये गये अवशोषित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य में वृद्धि के साथ दृश्य पूरक रंग का क्रम होता है। इस प्रकार हम देख सकते हैं कि अवशोषित प्रकाश की लम्बी तरंगदैर्घ्य डाइ (Dye) के रंग को गहरा करेगी।
चूँकि दृश्य रंग अवशोषित बैण्ड के पूरक रंग है, बैथोक्रोमिक समूह (Which bring about deepening of colour) लम्बी तरंगदैर्ध्य के अवशोषण में मदद करेंगे अर्थात् अवशोषित रंग कॉलम के लाल सिरे के नीचे होंगे। बैथोक्रोमिक समूह इस प्रकार से रेड शिफ्ट कहलायेगा।
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