Biological Farming Compost Fertilizer

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Biological Farming Compost Fertilizer

Biological Farming Compost Fertilizer.इस ब्लॉग में कम्पोस्ट खाद के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी।यह एक प्रोजेक्ट वर्क हैं जिसके कारण यहाँ दी जानकारी सही और उपयोगी साबित होगी।इससे जैविक खेती क्या होती हैं इससे केसे लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं,सबकी विस्तृत जानकारी मिलेगी।

उत्पादित फसल की गुणवत्ता किसी भी रासायनिक खेती से उताप्दित फसल से अधिक होती हैं।इसमें नाइट्रोजन 1.00 से 1.60%,फॉस्फेट 0.50 से 5.04% और पोटाश 0.80 से 1.50% तक पाया जाता हैं,जो कि गोबर की खाद,शहर या गाँव की कम्पोस्ट तथा हरी खाद में उपलब्ध मात्रा से काफी अधिक हैं।

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कम्पोस्ट खाद

कम्पोस्ट को कूड़ा खाद कहते हैं।पौधों के अवशेष पदार्थ घर का कूड़ा कचरा मनुष्य का मल,पशुओं का गोबर आदि का जीवाणु द्वारा विशेष परिस्थिति में विच्छेदन होने से यह खाद बनती हैं।

अच्छा कम्पोस्ट खाद गंध रहित भूरे या भूरे काले रंग का भुरभुरा पदार्थ होता हैं।इसके .5 से 1.0 पोटाश एवं अन्य गौण पोषक तत्व होते हैं।

कम्पोस्ट खाद का महत्त्व

हमारी पारस्परिक खेती में कचरा,गोबर,जानवरों का मलमूत्र व अन्य वनस्पतिजन्य कचरे को एकत्रित करके खाद बनाने की प्रथा प्रचलित थी।

जिसमे पौधें के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व तथा मिटटी में जैविक पदार्थों का विघटन करने वाले सभी प्रकार के सूक्ष्म जीव प्रचुर मात्रा में होते हैं।

इस प्रकार जैविक खाद के इस्तेमाल से मिटटी की प्राकृतिक उपजाऊ शक्ति का विकास होता हैं।

कम्पोस्ट खाद कैसे बनाये:-

अच्छी तरह सड़े हुए पौधों और पशु अवशेषों को कम्पोस्ट खाद कहा जाता हैं।

कम्पोस्ट खाद का मतलब हैं,कि खेती में प्रयोग से पहले उसको अच्छी तरह सडा लेना चाहिए।

कम्पोस्ट की आवश्यकताओं में हवा,नमी,अनुकूल तापमान और नाइट्रोजन की एक छोटी मात्रा हैं।

यह सूक्ष्मजीवो का एक क्रिया कलाप हैं और वाही सामग्री को कमजोर करने के लिए सूक्ष्मजीवो को पेश करने के लिए उपयुक्त तैयार ईनोकुलों को जोड़ने की सिफारिस करते हैं।

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कम्पोस्ट खाद फसल व पौधों के पोषक तत्वों में उच्च जैविक उर्वरता संचार करता हैं।

जो मिटटी की भौतिक विशेषताओं में सुधार करता हैं,खेत में जैव अपशिस्ट को कम करता हैं।

और रोगजनकीयो को खत्म करता हैं।

इस तरह कम्पोस्ट खाद जैविक खेती का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

यदि आप जैविक खेती के बारे में विस्तार में जानना चाहते है तो यहाँ पढ़े जैविक खेती कैसे करे पूरी जानकारी।

विधि :-

(1.)सबसे नीचे ईट या पत्थर की 11 सेमी.की परत बनाइये फिर 2.0 सेमी.या बालू की दूसरी तह लगाकर पानी के हलके छिडकाव से नम कर दे।

इसके बाद अधसड़ी गोबर डाल कर एक किलो प्रति गड्डे की दर से केंचुए छोड़ दे।

(2.)इसके ऊपर 5-10 सेमी घरेलू कचरे जैसे सब्जियों के छिलके आदि कटे हुए फसल अवशेष जैसे पुवाल,भूसा,जलकुम्भी पेड़ पौधों की पत्तियाँ आदि को बिछा दे।

20-25 दिन तक आवश्यकतानुसार पानी का हल्का छिडकाव करते रहे।

इसके बाद प्रति सप्ताह दो बार 5 -10 सेमी. सड़ने योग्य कूड़े कचरे की तह लगाते रहें जब तक कि पूरा गड्डा भर जाएँ।

रोज पानी का छिडकाव करते रहे।

कार्बनिक पदार्थ के ढेर पर लगभग 50% नमी होनी चाहिए।

6-7 सप्ताह में वर्मी कम्पोस्ट बनाने के बाद 2-3 दिन तक पानी का छिडकाव बंद कर देना चाहिए।

इसके बाद खाद निकालकर छाया में ढेर लगाकर सुखा देते हैं।

फिर इसे 2 मिलीमी चन्ने में छानकर अलग कर लेते हैं.फिर इस तैयार खाद को आवश्यक मात्रा में प्लास्टिक की थैलियो में भर देते हैं।

केंचुए का कल्चर या ईनाकुलम तैयार करना :-

केंचुए कूड़े कचरे के ढेर के नीचे में कम्पोस्ट बनाते हुए ऊपर की तरफ बढते हैं।

पुरे गड्डे की कम्पोस्ट तैयार होने के बाद ऊपर सतह पर कूड़े कचरे की एक नमी सतह लगा देते हैं।

तथा पानी छिड़क कर नम कर देते हैं.इस सतह की और सभु केंचुए आकर्षित हो जाते हैं।

इन्हें हाथ या किसी चीज से अलग कर इकट्टा कर लेते हैं जिसे दुसरे नए गड्डे में अंत:क्रमण के लिए प्रयोग करते हैं।

कम्पोस्ट खाद कैसे काम करता हैं:-

1.कम्पोस्ट खाद प्रभावी तब होता हैं,जब आप ऐसी परिस्थिति बनाते हैं,जो सूक्ष्म जीवों के नाम पर मिटटी में छोटे छोटे जीवों के विकास का समर्थन करते हैं।

ये बैक्टीरिया और कवक हैं,इनको केवल एक सूक्ष्म दंशक का उपयोग करके देखा जा सकता हैं।

2.इन सूक्ष्म जीवों को पौधों और पशु अपशिस्ट पदार्थों को तोड़ने के लिए आवश्यक हैं।

वे पौधे और पशु के कचरे के टूटने के दौरान गर्मी का उत्पादन करते हैं।

3.कुछ दिनों के बाद तैयार कम्पोस्ट ढेर गर्म हो जायेगा और जब उसको खोला जायेगा तो भाप भी दिखाई दे सकती हैं।

कचरे की सामग्री के रूप में विघटित होने पर वे ऐसे पदार्थों में पोषक तत्वों को छोड़ते हैं,जिनका फसल और पौधों में किया जाता हैं।

वेर्मी कम्पोस्ट एक उत्तम जैव खाद

वेर्मी कम्पोस्ट क्या हैं:-

वेर्मी कम्पोस्ट निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका केंचुओ की हैं।

जिसके द्वारा कार्बनिक /जीवांश पदार्थों को विघटित करके/सड़ाकर यह खाद तैयार की जाती हैं।

यह वेर्मी कम्पोस्ट या केंचुए की खाद कहलाती हैं।

वेर्मी कम्पोस्ट कृषि के अपशिस्ट पदार्थ शहर तथा रसोई के कूड़े-कचरे को पुन:उपयोगी पदार्थ में बदलने तथा पर्यावरण प्रदुषण को कम करने की एक प्रभाव शाली विधा हैं।

अ कृषि या फसल अवशेष :-

पुआल,भूसा,गन्ने की खोई ,पलियां,खरपतवार,भुस,फसलों के डंठल बायोगैस एवं गोबर आदि।

(ब) घरेलू तथा शहरी कूड़ा-कचरा

सब्जिओं के छिलके तथा अवशेष,फलों के छिलके तथा अवशेष फलों तथा सब्जी मंडी का कचरा ,भोजन के अवशेष आदि।

कृषि उधोग सम्बन्धी व्यर्थ पदार्थ :-

वनस्पति तेल शोध मिल,चीनी मिल,शराब उधोग,बीज तथा खाध प्रसंस्करण उधोग तथा नारियल उधोग के अवशिस्ट पदार्थ।

केंचुओ की प्रजातिया

कम्पोस्ट बनाने की सक्षम प्रजातियो में मुख्य रूप में इन्सेनिया फोटिडा तथा ईल्स एयूजिनी हैं जिन्हें केंचुए की लाल प्रजाति भी कहते हैं।

इसके अतिरिक्त पेरियानिक्स एक्सवकेटस लेम्पीटो माउरीटी डावीटा कलेवी तथा डिगो गास्टर बोलाई प्रजातिया भी हैं।

जो कम्पोस्टिंग में प्रयोग की जाती हैं परन्तु में लाल केंचुओ से कम प्रभावी हैं।

वेर्मी कम्पोस्ट के लाभ:-

I.वेर्मी कम्पोस्ट को भूमि में बिखेरने से भूमि भुरभरी एवं उपजाऊ बनती हैं.

इसमें पौधों की जड़ों के लिए उचित वातावरण बनता हैं,जिससे उनका अच्छा विकास होता हैं।
2.भूमि एक जैविक माध्यम हैं तथा इसमें अनेक जीवाणु होते हैं,जो इसको जीवंत बनाये रखते हैं।

इन जीवाणुओं को भोजन के रूप में कार्बन की आवश्यकता होती हैं।
3.वेर्मी कम्पोस्ट के प्रयोग से मिटटी भुरभरी हो जाती हैं,जिससे उसमे पोषक तत्व व जल संरक्षण की क्षमता बढ़ जाती व हवा का आवागमन भी मिटटी में ठीक रहता हैं।
4.इसके प्रयोग से भूमि के अन्दर पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवों में सहायक होता हैं।

जीवों को भोजन मिलता हैं,जिससे वह अधिक क्रियाशील रहते हैं।
5.इसका सम्पूर्ण जीवन चक्र रसायन मुक्त होने के कारण इसमें उत्पादित फसल की गुणवत्ता किसी भी रासायनिक खेती से उताप्दित फसल से अधिक होती हैं।
6.इसमें नाइट्रोजन 1.00 से 1.60%,फॉस्फेट 0.50 से 5.04% और पोटाश 0.80 से 1.50% तक पाया जाता हैं,

जो कि गोबर की खाद,शहर या गाँव की कम्पोस्ट तथा हरी खाद में उपलब्ध मात्रा से काफी अधिक हैं।

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