Analytical Chemistry NEP 2020 B.Sc. I Major-II/Minor/Elective Course

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फिल्ड Analytical Chemistry NEP 2020 B.Sc. I Major-II/Minor/Elective Course.यह बुक NEP2020 के केमिस्ट्री(Analytical) के सेकंड पेपर/माइनर/इलेक्टिव के न्यू सिलेबस के इम्पोर्टेन्ट प्रश्नों को कवर करेगी.

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16 यूनिट III

Analytical Chemistry NEP 2020 B.Sc. I Major-II/Minor/Elective Course

सिलेबस

Analytical Chemistry

B.Sc. I Major-II/Minor/Elective Course

यूनिट I

मैथ्स फॉर केमिस्ट

  • लोगरिथम रिलेशन (Logarithm)
  • कर्वे स्केचिंग (Curves Sketching)
  • लीनियर ग्राफ और ढाल(Slopes) का केल्कुलेसन
  • अवकलन (differentian)
  • Kx,ex,xn,SinX,logX फंक्शन के अवकलन
  • मैक्सिमा और मिनिमल(Maxima & Minimal)
  • समाकलन (Integration)

यूनिट II

फंडामेंटल एनालिटिकल केमिस्ट्री

  • परिचय एवं प्रकृति
  • सेम्पलिंग की अवधारणा
  • एनालिटिकल मेसरमेंट (मापन) में एक्यूरेसी,परिशुद्धता(Precision) और त्रुटी में स्रोतों का महत्त्व
  • प्रैक्टिकल डाटा और परिणामों की प्रस्तुति (presentation of results)

सिग्निफिकेंस नंबर के दृष्टिकोण (Approach) से सांख्यिकी शब्दावली (statistics Glossary)-

  • माध्य(Mean),माध्य विचलन(Mean Deviation) ,माध्यिका(Median),मानक विचलन(Standard Deviation),संख्यात्मक प्रश्न(Numerical Questions)
  • एनालिटिकल केमिस्ट्री में प्रयुक्त गण नाए

माप की कुछ महत्वपूर्ण इकाईयां

  • SI इकाईयां,द्रव्यमान और भार में अंतर ,मोल,मिलीमोल व नयूमेरिकल क्वेश्चन

विलियन और उनकी सांद्रता

  • मोलरता(Molarity),मोललता(Molality) और नार्मलता(Normality) का कांसेप्ट |
  • पार्ट्स पर मिलियन (PPM),पार्ट्स पर बिलियन(PPB) में सांद्रता को व्यक्त करना , न्यूमेरिकल क्वेश्चन

केमिकल रस समीकरणमिति

  • आनुभविक(Empirical formula ) और आणविक सूत्र (molecular formula)
  • रस समीकरणमिति (Chemical Stoichiometry) केल्कुलेसन,न्यूमेरिकल क्वेश्चन

यूनिट III

कंप्यूटर फॉर केमिस्ट

  • कंप्यूटर का परिचय,डॉस,विंडोज,लिनक्स और उबंटू (उबन्टू (Ubuntu) लिनक्स से निकला हुआ प्रचालन तंत्र(ऑपरेटिंग सिस्टम) है)जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम का इंट्रोडक्शन |

कंप्यूटर प्रोग्राम का यूज़

  • एम.एस.वर्ड ,एम.एस एक्सेल ,पॉवर पॉइंट जैसे स्टैण्डर्ड प्रोग्राम और पैकेज को चलाना |
  • रेखीय प्रतिगमन x-y प्लाट का निष्पादन |
  • संरचनाओं और आणविक सूत्रों के चित्रांकन के लिए सॉफ्टवेर का यूज़ |

यूनिट IV

रासायनिक साम्य

  • रासायनिक साम्य (केमिकल एकुलिब्रियम)
  • साम्य स्थिरांक एवं मुक्त उर्जा
  • रासायनिक विभव का कांसेप्ट
  • रासायनिक साम्य के लॉ की उष्मागतिक डेरीवेटिव
  • रासायनिक साम्य की ताप की निर्भरता
  • वांट हॉफ रिएक्शन
  • सम आयतनिक
  • ले चेटेलिअर का सिधांत और इसके अनुप्रयोग

यूनिट V

वर्ण लेखिकी (क्रोमैटोग्राफी )

  • परिचय, सिधांत और क्लासिफिकेशन |
  • सेपरेशन की मैकेनिज्म, अधिशोषण ,वितरण,आयन विनि

क्रोम टो ग्राम का विकास

  • अग्रभाग,निक्षालन और विस्थापन की मेथड्स |
  • पेपर क्रोमैटोग्राफी (आरोही,अवरोही और गोलाकार)
  • पतली परत क्रोमैटोग्राफी (TLC) एवं कॉलम क्रोमैटोग्राफी(GC)
  • गैस क्रोमैटोग्राफी और हाई परफॉरमेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी(HPLC) कॉलम के प्रकार एवं कॉलम सिलेक्शन
  • एप्लीकेशन ,सीमाए

सिधांत और अनुप्रयोग:-

  • फ़्लैश क्रोमैटोग्राफी
  • आयन विनिमय क्रोमैटोग्राफी
  • चिरल क्रोमैटोग्राफी

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यूनिट VI

विश्लेषण की वर्णक्रमीय अवशोषण कनीक

  • अव शोषण,स्पेक्ट्रोस्कोपी का परिचय,इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन,स्पेक्ट्रल रेंज|
  • अव शोषण,अव शोषकता,आणविक अव शोषकता,अव शोषण के फंडामेंटल लॉ
  • लैबर्ट बियर नियम व इसकी सीमाए|
  • फोटोमीटर स्पेक्ट्रोमीटर |
  • वर्णमापी की संरचना एवं कार्यप्रणाली |

पराबैंगनी (UV) अवशोषण स्पेक्ट्रोस्कोपी

  • UV स्पेक्ट्रा का प्रेजेंटेशन और एनालिसिस,इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजीशन के टाइप,कांजुगेसन का इफ़ेक्ट|
  • क्रोमोफोर और आक्सोक्रोम का कांसेप्ट|
  • बाथोक्रोमिक,हिप्सोक्रोमिक,हाइपरक्रोमिक और हाइपोक्रोमिक शिफ्ट|
  • संयुग्मित पोलिन्स और एनोन का पराबैंगनी वर्णक्रम (UV स्पेक्ट्रा )

अवरक्त (IR) अवशोषण स्पेक्ट्रोस्कोपी

  • आणविक कम्पन,हुक का नियम,वरण नियम,
  • अवरक्त बैंड की तीव्रता और स्थिति,
  • अवरक्त स्पेक्ट्रम का मेसरमेंट,फिंगर प्रिंट क्षेत्र,
  • विभिन्न क्रियात्मक ग्रुप्स का अभिलाक्षणिक अवशोषण और सरल आर्गेनिक कंपाउंडस के अवरक्त स्पेक्ट्रा की व्याख्या|

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इड़ेक्स

केमिस्ट्री (म.प्र.)

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यूनिट I

मैथ्स फॉर केमिस्ट

लोगरिथम रिलेशन (Logarithm)

किसी दिए हुए बेस(आधार) पर किसी नंबर का लोगरिथम,बेस (आधार) का वह घातांक (इंडेक्स) होता है,जिसे आधार पर लगाने से वह नंबर(संख्या) प्राप्त हो जाती हैं| जैसे यदि,

ax=n

तो,x को बेस a पर n का लोगरिथम कहते हैं | यहाँ a बेस हैं जिसे घातांक (इंडेक्स) x पर raise करने से दिया नंबर n मिलती हैं|

अत: x = loga n

उदाहरण से ,यदि 24 = 16 तो 4 = log2 16

अर्थात 16 का 2 के बेस पर लोगरिथम 4 होगा

इसी प्रकार 105 = 1 00000

5 = log10 1 00000

अत:- 1 00000 का 10 के बेस पर लोगरिथम 5 होगा |

इसी प्रकार

25=32 log2 32 =5

53 =125 log5125= 3

रसायनज्ञोके लिए मैथ्स-एक नई शिक्षा निति 2020

रसायनज्ञोके लिए मैथ्स-एक नई शिक्षा निति 2020
रसायनज्ञोके लिए मैथ्स-एक नई शिक्षा निति 2020

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यूनिट II

फंडामेंटल एनालिटिकल केमिस्ट्री

प्रश्न :-1.निम्नलिखित को डिफाइन(परिभाषित) कीजिये

  • A.मोलरता(Molarity)
  • B.मोललता(Molality)
  • C.नार्मलता (Normality)
  • D.मोल प्रभाज(Mole Fraction)
  • E. शक्ति (Strength)
  • F. प्रतिशतता
  • G. पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) & पीपीबी (पार्ट्स पर बिलियन)

उत्तर:-

A.मोलरता(Molarity):- इसे ग्राम अणुता (gram molecularity) भी कहते हैं। किसी solution की मोलरता पदार्थ के मोलों की वह नंबर(संख्या) हैं,जो solution के एक लीटर में प्रेजेंट हो।इसे M से शो करते हैं।

M =विलय के मोलों की संख्या /लीटर में solution का आयतन

मोलों की संख्या =विलय का ग्राम में भार/विलय का अणुभार

M =ग्राम में भार (WB)/अणुभार(MB) x विलयन का आयतन V

M =WB/MB x V(ml)

यूनिट III

कंप्यूटर फॉर केमिस्ट

प्रश्न: 1 Computer System की सीमाओ एवं विशेषताओं को विस्तार से समझाओ।

उत्तर:- Computer की सीमाए निम्नलिखित हैं –

  1. Computer ह्यूमन ब्रेन के समान सेल्फ थिंकिंग की कैपेसिटी नहीं रखता हैं।यह दिए गए इंस्ट्रक्शन के अनुसार ही वर्क कर सकता हैं। कंप्यूटर अपनी क्षमता के बाहर के वर्क्स के लिए इंस्ट्रक्शन्स का पालन नहीं करता और त्रुटी पूर्ण रिजल्ट देता हैं।
  2. ह्यूमन के समान Unexpected(अप्रत्याशित) कंडीशन्स में आप्शन,Computer नहीं निकाल सकता हैं।
  3. कंप्यूटर में अंतर्ज्ञान(Intuition) नहीं होता हैं Computer सभी इंस्ट्रक्शन्स का पालन किये बिना,सीधे Conclusion तक नहीं पहुँच सकता ।
  4. कंप्यूटर किसी गोल (लक्ष्य) को हासिल (achieved) करने के लिए परिमित (certain) नंबर के स्टेप्स का पालन करके क्रिया करता हैं। each स्टेप्स स्पस्ट होना चाहिए। और सभी स्टेप क्रमानुसार(sequentially) होने चाहिए।

कंप्यूटर की विशेषताए निम्नलिखित हैं –

कंप्यूटर ने Automation (स्वचालन) के फील्ड में काफी हेल्प की हैं। कई मशीने एवं Plant (संयंत्र) आज हमारे द्वारा बनाये गये प्रोग्रामों के अनुसार कंप्यूटर की हेल्प से चलाये जा रहे हैं,इससे ह्यूमन शक्ति की बचत हुई। कंप्यूटर की विशेषताए इस प्रकार हैं-

  1. संचय क्षमता (Storage capacity)
  2. उच्च गति (High Speed)
  3. स्वचालन (Automation)
  4. निर्णय लेने की क्षमता
  5. विश्वनीयता एवं शुद्धता (Reliability & Accuracy)
  6. इनफार्मेशन की शीघ्र पुनः प्राप्ति (Quick Retrieval of information)

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प्रश्न: 2 Linux operating System की विशेषताए लिखिए ।

उत्तर:- लाइनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं:-

  • मल्टीयूज़र(बहु उपयोगकर्ता)– लाइनक्स भी UNIX के बाकि versions (संस्करणों ) की तरह मल्टीयूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम हैं मतलब यह एक साथ एक से अधिक उपयोगकर्ताओं को वर्क करने की परमिशन देता हैं।
  • सुवाह्यता(पोर्टेबिलिटी-सहज ही में ले जाने योग्य गुण)-लाइनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को आसानी से एक प्लेटफार्म से दुसरे हार्डवेयर प्लेटफार्म में ले जाया जा सकता हैं।
  • फाइल सिस्टम में हेल्प-Linux डाटा को arrange रखने के लिए डिफरेंट टाइप के फाइल सिस्टम को support करता हैं। उदाहरण के लिए जैसे ext2 फाइल सिस्टम स्पेशल रूप से लाइनक्स के लिए बनाया गया हैं।
  • वितरण में हेल्प(डिस्ट्रीब्यूशन)-Linux की आल फाइलों जैसे डिवाइस ड्राइवर,यूजर प्रोग्राम,लाइब्रेरी आदि को स्वतंत्रता से डिस्ट्रीब्यूट किया जा सकता हैं।
  • बहुसुत्रीय सिस्टम-लाइनक्स में प्रोग्राम छोटे-छोटे सूत्रों(थ्रेड) में डिवाइड हो जाता हैं तथा प्रत्येक थ्रेड एक ही फिजिकल मेमोरी शेयर करता हैं।
  • नेटवर्किंग– linux,TCP/IP नेटवर्किंग सॉफ्टवेयर का एक्सीक्युसन(कार्यान्वयन) भी आसानी से करता हैं ।

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प्रश्न:3 एम.एस.डॉस (MS-DOS) क्या हैं एवं इसका इतिहास तथा इसके VERSION कौन से हैं ?

उत्तर-डिस्क एक NONग्राफिकल ,तेक्स्चुअर यूजर इंटरफ़ेस ऑपरेटिंग सिस्टम हैं।इसे एम.एस.डॉस या सामान्यत डॉस के नाम से भी जाना जाता हैं।

एम.एस.डॉस का पूरा नाम माइक्रोसॉफ्ट डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम हैं । जो माइक्रो कंप्यूटर में प्रयुक्त होता हैं।यह सबसे अधिक लोकप्रिय OPERATING SYSTEM हैं।

सन 1984 के समय माइक्रो कंप्यूटर इंटेल 80286 प्रोसेसर युक्त विकसित किये गए तब ही एम.एस.डॉस 3.0 और एम.एस.डॉस 4.0 VERSION का विकास किया गया।

माइक्रोसॉफ्ट के इस Operating System कहा जाता हैं क्योंकि यह मैक्सिमम डिस्क से रिलेटेड इनपुट/आउटपुट वर्क करता हैं।

डॉस एक मध्यस्थ का वर्क करता हैं जो सॉफ्टवेर और हार्डवेयर में रिलेशन स्थापित करता हैं की-बोर्ड और माउस द्वारा दिए गए कमांडो को ऐसी लैंग्वेज में ट्रांसलेट करके Messages का रूप देता हैं जिसे कंप्यूटर समझ सकता हैं।

सी.पी.यु. Messages के रूप में वापस भेजता हैं जो मॉनिटर पर show होते हैं या प्रिंटर द्वारा उस लैंग्वेज के प्रिंट होते हैं जिन्हें आसानी से समझा जा सके।

निकाय(सिस्टम) यूनिट में कंप्यूटर का ब्रेन होता हैं मतलब इसमें सी.पी.यु.,हार्ड डिस्क आदि होते हैं।लेकिन यह सभी डॉस द्वारा संचालित होते हैं।

डॉस का संचालन उन कमांडो द्वारा होता हैं जो की-बोर्ड पर टाइप करते हैं। 1 से 6 के डॉस versionमार्किट में आ चुके हैं ।इसमें 6.22 version सबसे बाद का हैं।

के सभी कमांडप्रत्येक संस्करण में कुछ अतिरिक्त गुण या कमांड हैं,जिन्हें हम प्रयोग करते हैं यदि कंप्यूटर में डॉस का 6 से निचे के संस्करण के सभी कमांड डॉस-6 में उपलब्ध होते हैं।

एम.एस.डॉस में यह सुविधा दो प्रकार के निर्देशों द्वारा होते हैं-

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(1) आतंरिक निर्देश

(2) बाह्य निर्देश

(1) आतंरिक निर्देश-यह कमांड प्रोसेसर मतलब कमांड डॉट कॉम के Memory में स्वयंआ जाता हैं। इनके आतंरिक कमांड निम्नलिखित हैं-

  • CLS-यह कमांड स्क्रीन को पूरी तरह से क्लियर कर देता हैं।
  • DATE-यह कमांड प्रेजेंट डेट को दिखाता हैं तथा need होने पर इसे चेंज करने का मौका देता हैं।
  • DIR-इसके द्वारा फाइलो की दर्शाते हैं। कमांड यह टाइप करते हैं-C:\Users>dir
  • COPY CON-इसका उपयोग फाइलों को क्रिएट तथा SAVE करने के लिए किया जाता हैं। C:\>COPY CON फाइल नाम
  • MD COMMAND-किसी डायरेक्टरी या उप डायरेक्टरी बनाने के लिए MDया MKDIR यूज़ करते हैं।उदाहरण के लिए C प्राम्प्ट पर Book नाम की डायरेक्टरी बनाने के लिए यह कमांड टाइप करते हैं-C:\>MD BOOK

(2) बाह्य निर्देश-कमांडस जो प्रोसेसर में प्रेजेंट नहीं रहता हैं,लेकिन किसी बाह्य फाइल में उपस्थित रहता हैं, बाह्य निर्देश या कमांड कहलाता हैं ।जब हम बाह्य कमांड चलाते हैं तब डॉस की इंस्ट्रक्शन की Need होती हैं जो किसी फाइल में उपस्थित होती हैं,जब डॉस को Computer के Memory में LOAD किया जाता हैं।

C:\>— इस चिन्ह को डॉस कमांड्स प्राम्प्ट(Prompt) कहते हैं ।

डॉस के अंतर्गत् निम्नलिखित बाह्य कमांड आते है-

  • CHKDSK– डिस्क की खाली स्पेस व मेमोरी के विषय में सुचना प्राप्त-C:\>CHKDSK<ड्राइव नाम>
  • FORMAT-किसी भी डिस्क को फ़ॉर्मेटकरना–C:\>FORMAT<ड्राइव नाम>
  • SORT– इस कमांड के द्वारा कैरेक्टर -बेस्ड फाइल की सोर्टिंग कर सकते हैं मतलब लाइनों को 0 से 9 तक और A से Z अक्षरों के बेस पर एसेन्डिंग और डीसेन्डिंग क्रम में जमा सकते हैं।-C:\>SORT<FILE NAME>
  • DISKCOPY-किसी भी डिस्क की copy तैयार करना –C:\>DISKCOPY<source disk><target disk>
  • DOSKEY-प्राम्प्ट पर लिखे आल कमांड् को फिर से देख सकते हैं ,क्योंकि इस कमांड के बाद जो भी लिखते हैं वो कंप्यूटर की रैम (RAM) में स्टोर हो जाती हैं।इसका यूज़ केवल कमांड को संगृहीत करने के लिए किया जाता हैं।-C:\>DOSKEY
  • APPEND– यह path कमांड के समान ही हैं जो किसी विशेष फाइल के लिए वर्तमान डायरेक्टरी के अलावा अन्य डायरेक्ट्रीज को फाइंड करता हैं।C:\>APPEND
  • FDISK-इससे हम फिक्स्ड डिस्क/हार्ड डिस्क को अनेक भागों में संगठित कर सकते हैं ।-C:\>FDISK
  • MOVE-इससे डायरेक्टरी का नाम बदल सकते हैं –C:\>MOVE BSc MSc-(BSc का नाम MSc हो जायेगा )
  • LABEL-इसका यूज़ disk पर वॉल्यूम लेबल बनाने बदलने या मिटाने में होता हैं। LABEL A:<लेबल का नाम(11 अक्षर) >
  • PRINT-एक या एक से अधिक फाइलो को प्रिंट करने के लिए-C:\>PRINT<FILE NAME>
  • MODE-डिफरेंट आउटपुट को control करने के लिए होता हैं। MODE-40
  • HELP-कमांड से सम्बंधित सुचना show करता हैं-HELP<Comand का नाम >
  • SYS-सिस्टम फाइलों को उल्लेखित गंतव्य disk में ट्रान्सफर करता हैं। SYS <गंतव्य फाइल का नाम>
  • BACKUP– हार्ड disk में उपस्थित डाटा और प्रोग्राम की वास्तविक प्रतिलिपि तैयार करता हैं।
  • TREE-सभी डायरेक्टरी या उप डायरेक्टरी की एक ट्री (पेड़) के रूप में सूचि तैयार करता हैं। C:\>TREE
  • ATTRIB-फाइल के गुण को बदलने के लिए ATTRIB<FILE NAME>

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प्रश्न:4 M.S.power point क्या हैं ? इसके उपयोग एवं आकर्षक प्रेजेंटेशन बनाने के चरण लिखिए|

उत्तर:-पॉवर पॉइंट माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस सुईट का एक कॉम्पोनेन्ट हैं,जिसका यूज़ ट्रांसपेरेंसी ,35 mm स्लाइड्स ,फोटो-प्रिंट या स्क्रीन पर प्रेजेंटेशन मेकिंग करने के लिए होता हैं। इस program की हेल्प से आप अपने विचारों को कलर एवं ध्वनियुक्त बनाकर प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं।

इसका प्रयोग विशेषत:Seminar,Conference एवं एजुकेशनल programs में ऑफिसर्स,शिक्षकों एवं प्रबन्धकों के द्वारा किया जाता हैं। इस software का प्रयोग डिफरेंट टाइप के विज्ञापनों में भी होता हैं।

यह Multimedia के फील्ड का एक पावरफुल टूल हैं ।प्रेजेंटेशन के लिए स्लाइड्स,हैंडआउट्स,स्पीकर नोट्स प्रिपरेशन किये जाते हैं।

निम्न संस्करण माइक्रोसॉफ्ट विंडोस में Power Point के हैं

  • 1993 power point 4.0 (ऑफिस 4 X)
  • 1995 power point 7 (ऑफिस 95)
  • 1997 power point 97 (ऑफिस 97)
  • 1999 power point 2000 (ऑफिस 2000)
  • 2001 power point 2002 (ऑफिस XP)
  • 2003 power point 2003 (ऑफिस 2003)
  • Power Point 2007 (ऑफिस 7)

Power Point के प्रेजेंटेशन के मुख्य कॉम्पोनेन्ट:-

1.स्लाइड्स-यह प्रेजेंटेशन में यूज़ किये जाने वाले पेजेस(पृष्ठ) हैं।स्लाइड्स में टाईटल,टेक्स्ट,ग्राफ्स,आकृतिया,क्लिप आर्ट हो सकते हैं।

2.हैंडआउट्स -यह प्रेजेंटेशन को सहारा प्रदान करते हैं। प्रेजेंटेशन से पूर्व आप ऑडियंस में हैंडआउट्स डिस्ट्रीब्यूट कर सकते हैं। इनमे स्लाइड्स के ही छोटे-छोटे प्रिंट,एक पृष्ठ पर 2,3,6, या 9 की संख्या में होते हैं। Company का नाम,पृष्ठ संख्या एवं डेट आदि भी इस पर प्रिंट की जा सकती हैं।

3. स्पीकर नोट्स- प्रेजेंटेशन के टाइम वक्ता या प्रस्तुतकर्ता के क्लेरीफिकेसन के लिए स्लाइड्स के नीचे नोट्स लिखे जाते हैं। वक्ता या प्रस्तुतकर्ता,प्रेजेंटेशन के टाइम स्लाइड्स show करते हुए अपने नोट्स से हेल्प लेता हैं।

4. आउटलाइन्स- प्रस्तुति के डिफरेंट स्लाइड के विषय-वस्तु को show करता हैं। यहाँ हम किसी भी स्लाइड्स के विषय-वस्तु को देख सकते हैं तथा इसमें आवश्यकता नुसार संशोधन भी कर सकते हैं।यह वस्तुत: प्रस्तुति का एक व्यू हैं जो दो पेज में डिवाइड होता हैं।

लेफ्ट पेज में विषय-वस्तु तथा राईट पेज में चयनित स्लाइड छोटे रूप में show होता हैं।

power point स्टार्ट करना -यह स्टेप हैं –

  • स्टार्ट मेनू पर क्लिक करें ।
  • प्रोग्राम को इंगित करें।
  • एम.एस.ऑफिस को इंगित करें फिर एम.एस.power पॉइंट का चयन करें।

मेकिंग ऑफ़ प्रेजेंटेशन

power point दो प्रकार के टेम्पलेट के साथ अवेलेबल होते हैं।

डिजाईन टेम्पलेट -इसमें पूर्व डिजाईन किये गए फ़ॉर्मेट तथा रंग स्कीम होते हैं जिसे हम अपने प्रस्तुति को एक अच्छा रूप देने के लिए लागू कर सकते हैं।

कंटेंट टेम्पलेट- इसमें फ़ॉर्मेट तथा रंग स्कीम के अतिरिक्त विशेष विषयों के लिए सुझाये गए टेक्स्ट के साथ स्लाइड भी अवेलेबल होती हैं।

डिजाईन टेम्पलेट बनाने के लिए निम्नलिखित स्टेप होती हैं –

  1. यदि पॉवर पॉइंट स्टार्ट-अप डायलाग बॉक्स show करते हैं तो डिजाईन टेम्पलेट का सीलेक्सन करते हैं।
  2. यदि power point पहले से खुला हैं तो फाइल से न्यू का चयन करते हैं तथा डिजाईन टेम्पलेट के टैब को क्लिक करते हैं फिर चॉइस का टेम्पलेट का चयन करते हैं और ओके को क्लिक करते हैं।
  3. इसके बाद न्यू स्लाइड डायलाग बॉक्स दिखाई पड़ेगा।
  4. यहाँ से चॉइस के ऑटो ले आउट को चुनेंगे।हम डिजाईन टेम्पलेट को बने-बनाये प्रस्तुति पर लागू करने के लिए format-apply डिजाईन टेम्पलेट …का चयन कर सकते हैं।

इसे टेम्पलेट की तरह सुरक्षित करने के लिए फाइल-save-as का चयन करते हैं तथा फाइल name में टेम्पलेट का नाम टाइप करते हैं तथा save as टाइप टेक्स्ट बॉक्स में डिजाईन टेम्पलेट का चयन करते हैं।

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प्रश्न:5 निम्नलिखित का वर्णन कीजिये-

  1. नई फाइल बनाने की विधि अथवा Power पॉइंट में न्यू स्लाइड बनाना
  2. आउटलाइन्स
  3. स्लाइड कलर स्कीम
  4. टेक्स्ट एलाइनमेंट
  5. बुलेट्स

उत्तर-1.नई फाइल बनाने की विधि अथवा Power पॉइंट में न्यू स्लाइड बनाना-

कंपनी के उत्पादको फ़ैलाने के लिए एक सेल्समैंन स्लाइड show तैयार करते हैं ।इसमें वह कंपनी की इनफार्मेशन जैसे इसका नाम,ऑफिस विवरण,ब्रान्चेस,प्रबंधनकार्मिक, विक्रय हेतु प्रोडक्ट तथा सिटी के show रूमों के नाम को प्रेजेंट करना चाहता हैं।

उनके पास कंपनी के show रूम और तथा कर्मचारी के फोटो रहते हैं ।बैकग्राउंड को आकर्षक बनाने के लिए निन्मलिखित चरण को फॉलो करते हैं-

  1. Power पॉइंट को स्टार्ट करने के लिए स्टार्ट->प्रोग्राम->माइक्रोसॉफ्ट power पॉइंट का चयन करें।
  2. माइक्रोसॉफ्ट power पॉइंट ओपन होने के बाद इसका स्टार्ट-अप डायलाग बॉक्स show होगा।
  3. स्टार्ट-अप डायलाग बॉक्स से ऑटो कंटेंट विज़ार्ड रेडियो बटन का सिलेक्शन करते हैं तथा ओके क्लिक करते हैं।
  4. इसके बाद Auto Content wizard डायलाग show होगा । यहाँ से next को क्लिक करते हैं।
  5. इसके बाद Auto Content wizard का दूसरा डायलाग बॉक्स show होगा जिसमे हम प्रस्तुति की प्रकृति का निर्धारण कर सकते हैं। यहाँ पर sales/मार्केटिंग का सिलेक्शन करते हैं तथा बॉक्स से selling a प्रोडक्ट or सर्विस का सिलेक्शन करते हैं।
  6. Next क्लिक करते हैं ।
  7. इसके बाद आउटपुट की प्रकृति चुनते हैं।इस example के सन्दर्भ में आउट स्क्रीन प्रेजेंटेशन ही ठीक हैं ।
  8. इसके बाद अगला डायलाग बॉक्स show होगा। इस डायलाग बॉक्स से प्रेजेंटेशन टाइटल टेक्स्ट बॉक्स में प्रस्तुति का शीर्षक sales प्रमोशन टाइप करते हैं तथा दुसरे आप्शन का इच्छानुसार सिलेक्शन करते हैं।
  9. Next क्लिक करते हैं फिर फिनिश का सिलेक्शन करे।इसके बाद डिफरेंट टाइप के स्लाइड्स पर आधारित प्रस्तुति दिखेगा।
  10. प्रदर्शन के लिए स्लाइड show से व्यू show चयन करते हैं या F5 दबाते है या एप्लीकेसन विंडो के नीचे स्लाइड show बटन को क्लिक करते हैं। show को एन्टर key दवाते हुए या माउस क्लिक की हेल्प से चला सकते हैं या फिर इसे automatic भी कर सकते हैं । शो को automatic करने के लिए स्लाइड show मेन्यु से स्लाइड ट्रांजीशन को क्लिक करते हैं तथा स्लाइड ट्रांजीशन डायलाग बॉक्स से automatically आफ्टर के चेक बॉक्स को क्लिक करते हैं तथा आवशयकता नुसार समय स्पिनर बॉक्स से चयन करते हैं ।

2.आउटलाइन्स

इसकी प्रस्तुति के डिफरेंट स्लाइड् के विषयवस्तु को show करता हैं ।यहाँ किसी भी स्लाइड के विषय वस्तु को देख सकते हैं तथा इसमें आवश्यकता नुसार संशोधन भी कर सकते हैं।यह वस्तुत: प्रेजेंटेशन का एक व्यू हैं जो दो पेन में डिवाइड होता हैं ।लेफ्ट(बाएं) पेन में विषय वस्तु तथा राईट(दायें) पेन में चयनित स्लाइड छोटे रूप में show होता हैं।

3.स्लाइड कलर स्कीम:-

यह एक टाइप से slide के बैकग्राउंड text तथा लाइन,shadow,शीर्षक text,हाइपरलिंक इत्यादि के रंगों का समायोजन हैं जिसका सिलेक्शन करने पर इन सभी रंगों का समावेश slide में एक बार हो जाता हैं।

किसी slide में कलर स्कीम जोड़ने के लिए format मेन्यूसस्लाइड स्कीम कलर का सिलेक्शन करते हैं ।फलस्वरूप कलर स्कीम डायलाग बॉक्स show होता हैं।यहाँ कलर स्कीम से उपर्युक्त कलर स्कीम का सिलेक्शन कर Applyया Apply to all का सिलेक्शन कर इसे क्रमश: सिलेक्टेड स्लाइड पर प्रेजेंटेशन के सभी स्लाइड पर लागू करने के लिए करते हैं ।

4. टेक्स्ट एलाइनमेंट:-

पॉवर पॉइंट में Presentation बनाते समय Slide में Text का भी यूज़ होता हैं जिसे आसानी से Arrange कर सकते हैं।इसके लिए सबसे पहले रिलेटेड टेक्स्ट बॉक्स से टेक्स्ट का सिलेक्शन करें जिसका एलाइनमेंट करना हैं।फिर फ़ॉर्मेट मेन्यू से एलाइनमेंट पर click करें और जिस प्रकार का एलाइनमेंट करना हैं उसे click करे तब टेक्स्ट का एलाइनमेंट हो जायेगा।

5. बुलेट्स:-

किसी भी slide में प्रेजेंट सूची के अवयवो का सिलेक्शन करके फोर्मटिंग टूलबार पर फ़ॉर्मेट बटन को क्लिक करके बुलेट्स को बनाया या जोड़ा जा सकता हैं।इसके द्वारा टेक्स्ट के बायीं और बुलेट का sign तथा इंडेंट स्वत:लग जाता हैं। यह वर्क फॉर्मेट मेन्यू से बुलेट & नम्बरिंग आप्शन का सिलेक्शन करके भी किया जा सकता हैं।

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प्रश्न:6 कंप्यूटर की एप्लीकेसन को लिखिए |

उत्तर:- Computer के डिफरेंट Uses के कारण इसके अनेक Application हैं।कंप्यूटर आजकल आल फील्ड में उपयोगी हैं। इसके main अनुप्रयोग इस प्रकार हैं:-

  1. कंप्यूटर का यूज़ एजुकेशन में।
  2. इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी ।
  3. एंटरटेनमेंट
  4. किचन और व्यक्तिगत वर्क में
  5. साइंस और ड्रग्स में कंप्यूटर

(1.)कंप्यूटर का यूज़ एजुकेशन में:-

जॉन केमेनी (1960) ने एजुकेशन में कंप्यूटर का उपयोग बढाने के लिए सबसे पहला प्रयास किया ।यह तब किया जब उहोने बेसिक (BASIC) कंप्यूटर भाषा का विकास किया। यह भाषा जल्द ही HEART MOUTH COLLEGE के स्टूडेंट्स के लाइफ का पार्ट बन गयी।

एजुकेशन में कंप्यूटर का उपयोग इस प्रकार हैं:-

(i) कंप्यूटर लर्निंग :-

आज के इस युग में कंप्यूटर कई विषयों से जुदा हुआ हैं जैसे कंप्यूटर इनफार्मेशन सिस्टम,कंप्यूटर साइंस,कंप्यूटर लैंग्वेज,कंप्यूटर रिएक्शन,और इन्टरनेट आदि की स्टडी की जाती हैं।

(ii) समस्या निराकरण:-

टफ प्रोब्लेम्स को कंप्यूटर सिंपल कर देता हैं।कंप्यूटर मैथमेटिक्स और रिसनिंग प्रॉब्लम का कैलकुलेशन आसानी से कर देता हैं ।

(2.)इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी:-

कंप्यूटर के फिल्ड में एक नई तकनीकी टेक्नोलॉजी का जन्म हुआ,जिसे इनफार्मेशन प्रोधोगिकी कहता हैं।इसकी निम्नलिखित Application कंप्यूटर द्वारा होती हैं :-

  • Internet
  • E-bussines

(3.) कंप्यूटर इन एंटरटेनमेंट

मनोरंजन के फिल्ड में कंप्यूटर का महत्वपूर्ण योगदान हैं।ह्यूमन कंप्यूटर में निम्न एंटरटेनमेंट के साधनों का यूज़ कर सकता हैं।

  • खेल (sports)
  • चलचित्र(movies)
  • म्यूजिक (sangeet)
  • आर्ट(कला)

(4.) किचन और व्यक्तिगत वर्क में:-

Micro-Computer के डिफरेंट वर्क्स के लिए सुविधाजनक और छोटे आकार के मॉडल का उपयोग हम अपने कार्यों में कर सकते हैं।यह एक डेस्क में या एक ब्रीफ़केस में रखा जा सकता हैं।

इन्हें निम्न रूपों में हाउस में या व्यक्तिगत कार्यों में यूज़ किया जा सकता हैं:-

  • घर से banking और खरीददारी
  • Computerised Car
  • व्यक्तिगत रोबोट नौकर
  • आधुनिक कुटीर उद्योग

(5)साइंस और ड्रग्स में कंप्यूटर:-

यह ऐसे फील्ड हैं,जहाँ computer का यूज़ अति आवश्यक हैं।इन फील्ड्स में कंप्यूटर के निम्नलिखित Applicaton हैं :-

  • विज्ञान
  • औषधी

प्रश्न:6 कंप्यूटर की एप्लीकेसन को लिखिए |

Analytical Chemistry NEP 2020 B.Sc. I Major-II/Minor/Elective Course

यूनिट IV

रासायनिक साम्य

यूनिट V

वर्ण लेखिकी (क्रोमैटोग्राफी )

प्रश्न: 1 पेपर क्रोमैटोग्राफी की थ्योरी,टाइप और मेथड का वर्णन कीजिये।

अथवा

कागज क्रोमैटोग्राफी तथा इसके एप्लीकेसन लिखिए।

उत्तर:-

Paper Chromatography एक एनालिटिक मेथड है जो कलर केमिकल्स या Substance को अलग करने के लिए यूज़ की जाती है। यह टेकनिक सबसे अधिक यूज़ की जाने वाली एवं मोस्ट इम्पोर्टेन्ट तकनीक हैं।इस टेकनिक के लिए सन 1944 में मार्टिन,कंडेन और सिंज को नोबल प्राइज दिया गया था।

थ्योरी (Principle)

पेपर क्रोमैटोग्राफी एक क्रोमैटोग्राफी की तकनीक है जो Non-Volatile Mixture को अलग करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। Paper Chromatography में फ़िल्टर पेपर का यूज़ Stationary Phase के लिए होता हैं।

फ़िल्टर पेपर हाइड्रोफिलिक होता हैं जिस पर जल की लेयर जम जाती हैं।Stationary Phaseके रूप में वाटर या फिर कोईअन्य नॉन-पोलर पदार्थ(साल्वेंट) का भी यूज़ किया जा सकता हैं ।

Paper Chromatography में वाटर Stationary Phase में होने पर Mobile Phase अन्य कोई नॉन-पोलर साल्वेंट जैसे n-butenol,एसिटिक अम्ल,वाटर (4:1:5) यूज़ में लाया जा सकता हैं ।

पेपर क्रोमैटोग्राफी के टाइप

दो प्रकार की होती हैं:-

पेपर वितरण क्रोमैटोग्राफी:-

इस मेथड में कागज पर किसी नॉन-पोलर साल्वेंट या वाटर की लेयर होती हैं जो Stationary Phase होती हैं एवं सेकंड साल्वेंट मोबाइल फेज होता हैं।दोनों फेज के बीच यह साम्य होता हैं:-

K= स्टेशनरी फेज में पदार्थ का सांद्रण/मोबाइल फेज में पदार्थ का सांद्रण

जहाँ K =वितरण गुणांक

पेपर अधिशोषण क्रोमैटोग्राफी:-

कुछ टेकनिक में पेपर की अधिशोषक Substance जैसे एलुमिना या सिलिका जेल

यूनिट VI

विश्लेषण की वर्णक्रमीय अवशोषण कनीक

प्रश्न 1. Lamberts Beer Law को विस्तार से समझाईये|

Chemistry की वह Branch जिसमे Light Radiation के Absorption से संपन्न प्रकाश Chemical Rx के वेग ,उनकी Mechanism आदि की Study की जाती हैं,Photochemistry कहलाती हैं।

Absorption Law-Lamberts Beer Law/अवशोषण लॉ -लैम्बर्ट्स बीयर लॉ

Photochemistry में उन chemical changes की study की जाती हैं। जिनमे प्रकाश Radiation के UV व visible region (200nm से 800 nm) की radiation का absorption किया जाता हैं।

वे chemical Rx जो प्रकाश radiation के फोटोन के absorption से संपन्न होती हैं,Photo-Chemical Rx कहलाती हैं।

इन Rx में absorption molecule or atom Photon absorption से active energy प्राप्त करते हैं।एवं excited state में पहुंचकर Rx संपन्न करते हैं।

द्रव्य के ऊपर प्रकाश radiation को डाला जाता हैं तो यह तीन प्रकार से distribute हो जाती हैं।

1.reflectedlight (Ir)

2. transmitted light (It)

3. absorb light (Ia)

अत: I0 = Ir + It + Ia

Photochemistry में फोटोन के law of absorption से reactant molecule excited हो जाते हैं अत:photochemistry में प्रकाश के absorption(beer’s law) भाग की ही study की जाती हैं।

beer law-जब किसी homogenous अवशोषण माध्य से एकवर्णी light को गुजारा जाता हैं तो अवशोषण माध्य की मोटाई के साथ रेडिएशन की तीव्रता में हुई कमी आपतित विकिरण की तीव्रता के समानुपाती होती हैं।

how is beer-lambert law used in spectroscopy

ultraviolet spectrum (electronic spectra) की plotting प्राय: wavelength और absorbance के मध्य ग्राफ खीचकर किया जाता हैं।absorbance ,absorbed radiation की energy की quantity का measurement होता हैं।

यदि sample में प्रवेश करने वाली radiation की intensity IR/I0 और sample से बाहर निकलने वाली radiation की intensity Is या I हो,तो absorbance A को I R/IS or I0/I ratio के logarithm से Express किया जाता हैं।

अत: I R/IS ratio जितना high होगा absorbanceउतना ही बड़ा होगा और absorbed radiation की energy भी उतनी high होगी। इसे log I R/IS  के रूप में भी Express किया जा सकता हैं।

जहाँ reference सेल में से होने वाली transmitted किरण पुंज की intensity तथा Is compound के विलयन युक्त सेल में से transmitted किरण पुंज की intensity हैं।

जिस wavelength पर highest absorption होता हैं उसे λmax Highhest)कहते हैं।

अत: absorbance , A= log (I0/I)

किसी दी हुई wavelength पर absorbance, radiation-path में विधमान molecules की संख्या पर depend करता हैं।

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Lamberts Beer Law

lambert law definition के law के according incident और transmitted light की intensity उस solution के concentration एवं length के साथ सम्बंधित होती हैं,जिसमे से होकर light गुजरती हैं।

mathematical form में इसे निम्न derivation के द्वारा Express किया जाता हैं।

यह derivation beer’s law statement का गणितीय प्रस्तावना हैं।

अत: absorbance, concentration तथा प्रकाश path की length में सम्बन्ध beer-lambert law कहलाता हैं।

A=e.c.l

Absorbance, log I0/I = e.c.l

Molar absorptivity e= log I0/I /cl =A/el

जबकि

IR = incident radiation की intensity

Is = transit radiation की intensity

E = घुलित पदार्थ का molar concentration

I = उस सेल की cm में length जिसमे solutionभरा हुआ हैं

E= Molar absorptivity।

यह किसी wavelength की दी हुई सांद्रता पर अवशोषकता की सीमा को प्रकट करती हैं अर्थात spectrum में absorption rule band की height से related रहती हैं।

उपर्युक्त derivation में log I0/I को विलयन का absorbance (A) तथा Log I/ I0 को विलयन का पारगमनांक T कहते है।

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प्रश्न 2.क्रोमोफोर और आक्सोक्रोम का कांसेप्ट क्या हैं ?

Concept Of Chromophore-Auxochrome/क्रोमोफोर-आक्सोक्रोम अवधारणा।

इस अवधारणा को समझने के लिए हमें EMR को समझाना होगा । EMR में जो 400-800nm का region होता हैं उसेvisible region कहते हैं। जिससे हमें कोई OBJECT COLURFUL दिखाई देता हैं।

जब यह radiation किसी objectपर डाली जाती हैं तो object में present electron radiation का absorption कर lower energy लेवल से higher energy level में चले जाते हैं।

चूँकि higher energy level में electron unstable होता हैं,इसलिए वह return lower energy level में आता हैं।जब वह higher से lower energy level में आता हैं तो जो energy उसने absorb की थी उसे निकालता हैं मतलब emit करता हैं।

Chromophore

वे isolated functional group जो ultraviolet region में characteristic absorption show करते हैं,chromophore या वर्ण मूलक कहलाते हैं।या प्राय: covalent unsaturated(double या triple ness ) group होता हैं।ये कलर के लिए responsibleहोते हैं।

उदाहरण के लिए :-सभी unsaturated group

–C≡N,>C=C<,>C=O,>C=S,–N=N,–NO2 etc.

actually में वे functional group जिनमे n–>π* और π—->π* transition होता हैं,इन्हें Chromophore कहते हैं। Chromophore अणु दो प्रकार के होते हैं।

  1. एक प्रकार के Chromophore में π-electron होते हैं इनमे π—->π* transition होता हैं।example CH2=CH2,CH≡CH etc.
  2. दुसरे प्रकार के Chromophore में π-और n-(non-bonding) electron दोनों होते हैं।इनमे दो प्रकार के transition हो सकते हैं।इनमे n–>π* एवं π—->π* transition possible होता हैं।example -NO2,-N=N-,>C=O etc.

कोई भी compound यदि Colurfulहैं,कोई हरा दिख रहा हैं,कोई नीला,पीला,लाल या कुछ भी color दिख रहा हो तो ये 100%sure है की उसमे Chromophore होगा।

लेकिन यह जरुरी नहीं कि सारे Chromophore group कलर देते हैं।मतलब यह हुआ की यह जरुरी नहीं की जो Chromophore है वो सारे compound को colorप्रदान करें।

Chromophore के लिए दो condition जरुरी हैं:-दोनों में से कोई भी कम हुआ तो वो Chromophore नहीं होगा।

1.chromophore present होना ही चाहिए।

2. 400 से 800 nm (visible region)की range होना जरुरी हैं।

Auxochrome

खुद का कोई color नहीं होता लेकिन Chromophore के साथ जोड़ने पर ये Chromophore का color बढ़ा देते हैं।Auxochrome एक Chromophore से जुड़े atoms का एक group है जो कि Chromophore की light को absorbed करने की capacity को Revised करता है।

सभी n—->σ* transition वो Auxochrome के अन्दर आते है। सारे saturated होना चाहिए। इसमें non-bonding मतलब lone pair ऑफ़ electron होना चाहिए और sigma bond होना चाहिए।साथ हे साथ इनमे conjugation भी होना चाहिए। उदाहरण के लिए>-OH, -NH2,-Cl आदि

एक Auxochrome एक या एक से अधिक अकेले Atoms के साथ Atoms का एक Functional Group है,जो एक Chromophore से जुड़ा होता है, दोनों Wavelength और Absorption की Intensity को बढ़ा देते है।

n-electron ness ऐसा group जो स्वयं Chromophore की भांति Behavior नहीं show करता हैं,लेकिन जब Chromophore के साथ present होता हैं।तब यह उसके Absorption band को लम्बी Wavelength की ओर विस्थापित कर देता हैं।(रेड red shift), Auxochrome कहलाता हैं।

यह Absorption band की intensity को भी बढाता हैं।जैसे->-OH, -NH2,-Cl आदि group।जब Auxochrome किसी Chromophore के साथ जुड़ता हैं,तो lone pair का साझा करके Conjugation को expand कर देता हैं।

इस विस्तारित Conjugation के कारण यह एक नए Chromophore में change हो जाता हैं,जो एक भिन्न maximum absorption तथा विलोपन गुणांक रखता हैं।

जैसे बेंजीन का absorption maximum 255nm (εmax =204)पर प्राप्त होता हैं जबकि aniline का maximum 280 nm (εmax 1500)पर प्राप्त होता हैं।

यहाँ amino group (-NH2) एक Auxochrome हैं।

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