indian famous scientist Chronicles: Inspiring Stories of Scientific Triumphs 100% True

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indian famous scientist Chronicles: Inspiring Stories of Scientific Triumphs 100% True.प्राचीन भारतीय वैज्ञानिको का केमिस्ट्री में रंग,रंगद्रव्य,धातु विज्ञान,सौन्दर्य प्रसाधन एवं आयुर्वेद में महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं।यहाँ पर कुछ फेमस साइंटिस्ट का केमिस्ट्री में योगदान का वर्णन इस प्रकार से हैं।

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धातु विज्ञान में योगदान:-

यजुर्वेद में भी इसके महत्त्व का उल्लेख मिलता हैं।रामायण,महाभारत,पुराणों आदि में भी सोना,लोहा,टिन,चांदी,तांबा,कांसाआदि का उल्लेख आता हैं।केवल प्राचीन ग्रंथों में ही विकसित धातु विज्ञान का उल्लेख नहीं हैं।अपितु इसके अनेक प्रमाण एवं उदाहरण निम्न प्रकार हैं :-

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(i) ज़स्ते की खोज धातु विज्ञान के क्षेत्र में एक आश्चर्य हैं।आसवन प्रक्रिया के द्वारा कच्चे ज़स्ते से शुद्ध ज़स्ता प्राप्त करने की प्रक्रिया निश्चय ही भारतीयों के लिए गर्व का विषय हैं ।

राजस्थान के ज्वर क्षेत्र में खुदाई के दौरान ईसा पूर्व चोथी शताब्दी में इसका निर्माण की प्रक्रिया के अवशेष मिले हैं,ज्वर क्षत्र की खुदाई में प्राप्त पीतल में ज़स्ते की मात्रा ३४% से अधिक हैं।जबकि आज की ज्ञात विधियो के अनुसार सामान्य स्थतियों में पीतल में 28%से अधिक ज़स्ता नहीं मिलाया जा सकता हैं।

ज़स्ते को प्राप्त करने की यह विद्या भारत में ईसा के जन्म से पूर्व से प्रचलित रही है।

(ii) इतिहास में भारतीय इस्पात की श्रेष्ठता के अनेक उल्लेख मिलता हैं।अरब और फारस के लोग भारतीय इस्पात की तलवार को पसंद करते थे।प्रसिद्ध धातु वैज्ञानिक बनारस हिन्दू विश्व विधालय के प्रोफेसर अनंत रमन ने इस्पात बनाने की सम्पूर्ण विधि लिखी हैं।

कच्चे लोहे, लकड़ी तथा कार्बन को मिटटी की प्यालियो।

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(iii)यूरोप में 17 वी सदी तक पारे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।फ़्रांस में इसे सिल्वर कहा जाता हैं। भारत वर्ष में पारे के बारे में जानकारी थी व इसका उपयोग बड़े पैमाने पर औषधी निदान में होता था।

11 वी सदी में लेखक अलबरूनी ने जो भारत में जो लम्बे समय तक रहा था।सर्वप्रथम पारे को बनाने और उसके उपयोग के बारे में विस्तार से लिखकर दुनिया को परिचित कराया।

80 प्रोटोन युक्त पारे को 1000 वर्ष पूर्व स्वर्ण (प्रोटोन संख्या 79) परिवर्तित करने का प्रयास रसायनज्ञ नागार्जुन ने किया था।

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(iv) 1902 में जानकारी मिलाती हैं कि सिन्धु नदी के प्रमुख उदगम स्थल पर स्वर्ण एवं रजत के कण वहा कि सादी मिटटी में प्राप्त होते हैं।रामायण,महाभारत आदि में सोने व चांदी का उल्लेख मिलता हैं।

स्वर्ण की भस्म बनाकर उसके औषधीय उपयोग की परंपरा सदियों से भारत में प्रचलित रही हैं।केरल में लोग धातु के दर्पण बनाने की विधि जानते थे।वे दर्पण हाथ से बने हुए अद्भुत कौशल का प्रतीक थे।वे दर्पण विदेशों में निर्यात होते थे।

इस प्रकार ज्ञात होता हैं कि धातु विज्ञान में भारत में प्राचीनकाल में वैज्ञानिकों का अभूतपूर्व योगदान रहा हैं।

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