सार्थक अंक किसे कहते हैंउत्तर – सार्थक अंक की परिभाषा (Definition of Significant figures) – किसी मापन के परिणाम को पूर्ण रूप से दर्शाने के लिए शून्य से नौ तक के अंकों में से न्यूनतम संख्या में जिन अंकों का प्रयोग आवश्यक होता है उन अंकों को सार्थक अंक कहते हैं ।
अथवा, किसी संख्या के उन अंकों (0 से लेकर 9 तक) को जिनके द्वारा किसी भौतिक राशि के परिमाण को पूर्णत: उसके यथार्थ मान तक व्यक्त करते हैं, सार्थक अंक (Significant figures) कहलाते हैं।
सार्थक अंक किसे कहते हैं ?
ये वे अंक हैं जो किसी मापन की परिशुद्धता को व्यक्त करने के लिए आवश्यक होते हैं। सार्थक अंको की की संख्या मापन के लिए प्रयुक्त उपकरण की परिशुद्धता पर निर्भर होती है। यदि मापन के लिए प्रयुक्त उपकरण की परिशुद्धता अधिक है तो मापन में अनिश्चितता भी कम होगी। किसी संख्या का अन्तिम अंक अनिश्चित होता है।
यदि किसी संख्यात्मक माप को 125.47 m3 दर्शाते हैं तो अन्तिम अंक 7 अनिश्चित है। तथा उसमें पाँच सार्थक अंक हैं
मानलो हम जल की किसी दी गई मात्रा का आयतन ज्ञात करने के लिए क्रमशः एक चिन्हांकित बीकर, एक चिन्हांकित सिलिण्डर तथा एक चिन्हांकित नली का उपयोग करते हैं।

(i) बीकर में जल का आयतन 9 ml प्राप्त होता है जिसमें केवल एक सार्थक अंक है और वह अनिश्चित हैं।
(ii) उसी जल का आयतन जब हम चिन्हांकित सिलिण्डर से मापते हैं तो 9.4 ml प्राप्त होता है जिसमें दो सार्थक अंक हैं । इसमें अन्तिम अंक 4 अनिश्चित है ।
9 ml में 1 सार्थक अंक है।
(iii) जब उसी जल का आयतन चिन्हांकित नली से मापते हैं तो आयतन 9.43 ml प्राप्त होता है। इसमें अन्तिम अंक 3 अनिश्चित है।
अत:
9ml में 1 सार्थक अंक
9.4ml में 2 सार्थक अंक हैं ।
9.43ml में 3 सार्थक अंक हैं।
सार्थक अंक किसे कहते हैं ?
मानलो किसी छड़ की लम्बाई को तीन प्रकार से व्यक्त किया गया है-
(a) 120 cm, (b) 120-0cm एवं (c) 120-00 cm.
यद्यपि ये सभी एक बराबर दिखाई पड़ते हैं, परन्तु इनमें सार्थक अंक क्रमशः तीन, चार तथा पाँच हैं।
(a)मापन 120 cm का वास्तविक मान 120 ± 1 cm है, अर्थात् वास्तविक मान 119 cm और 121 cm के बीच है।
cm के बीच है।
(b) मापन 120-0 cm का वास्तविक मान 120-0 ± 0.1 है, अर्थात् वास्तविक मान 119.9 cm और 120-1 cm के बीच है।
(c) मापन 120-00 cm का वास्तविक मान 120.00 ± 0.01 है, अर्थात् वास्तविक मान 119.99 cm और 120-1 cm के बीच है।
सार्थक अंकों की संख्या दर्शाने के लिए नियम (Rules for Counting significant figures) –
(i) किसी संख्या के आरम्भ में दिये गये शून्यों को छोड़कर सभी अंक सार्थक (Significant) होते हैं। उदाहरण – 0.125 में तीन सार्थक अंक हैं तथा 0.025 में दो सार्थक अंक हैं।
(ii) आरम्भ में दिये गये शून्य को छोड़कर किन्हीं अन्य दो अंकों के मध्य स्थित शून्य सार्थक अंक होते. हैं। उदाहरण – 8.205 में चार सार्थक अंक हैं तथा 8.0024 में पाँच सार्थक अंक हैं।
(iii) किसी संख्या के दायीं ओर स्थित सभी शून्य सार्थक (Significant) होते हैं। उदाहरण – 845.000 में छ: सार्थक अंक हैं।
(iv) वैज्ञानिक अंकन/घातीय अंकनों (Scientific notation/exponential notation) में संख्यात्मक भाग सार्थक अंकों की संख्या दर्शाता है। प्रत्येक संख्या को N x 10n के रूप में दर्शाया जा सकता है। जहाँ, n = एक घातांक है जिसका धनात्मक व ऋणात्मक मान होता है तथा N = शून्य को छोड़कर वह
एकल संख्या है जिसके बायें तरफ दशमलव बिन्दु लगा हो ।
(v) घातीय अंकन बहुत बड़ी तथा बहुत छोटी संख्याओं को व्यक्त करने में उपयोगी है। मानलो कोई संख्या 0.000045 है तो उसे वैज्ञानिक अंकन की विधि में 4.5×10-5 लिखा जायेगा। इसमें सार्थक अंकों की संख्या 2 है। ऐवोगैड्रो संख्या (Avogadro number) 6.023 x 1023 में सार्थक अंकों की संख्या चार है। यह ध्यान में रखने योग्य है कि सार्थक अंकों में दशमलव बिन्दु (Decimal point) की गिनती नहीं की जाती।
वैज्ञानिक अंकन पद्धति (Scientific notation system) – वैज्ञानिक अंकन पद्धति में संख्याओं को उनके 10 की घात के रूप में लिखा जाता है तथा इस प्रकार उनके सार्थक अंकों को निश्चित कर दिया जाता है। प्रकार से दर्शाया जा सकता है।
उदाहरण – माना 8000 एक संदिग्ध संख्या है। उसके सार्थक अंकों की संख्या 3 निश्चित करके उसे 4 प्रकार से दर्शाया जा सकता है।
- 800 x 10
- 80-0 × 102
- 00×103
- 800×104
ये सभी व्यंजक वैज्ञानिक अंकन विधि के अनुसार ही हैं जिनमें व्यंजक (iii) सर्वाधिक उपयुक्त है।
सार्थक अंक किसे कहते हैं ?
नियम — वैज्ञानिक अंकन विधि में किसी संख्या को 1 से 10 के बीच किसी खण्ड (Factor) के रूप में लिखा जाता है जिसे 10 से गुणा करके 10 पर कोई उपयुक्त घात लगाया जाता है। यह उपयुक्त घात बड़ी संख्याओं के लिए धनात्मक तथा छोटी संख्याओं के लिए ऋणात्मक हो सकता है।
उदाहरण-
5000 = 5.0×103
480000 = 4.8×105
0.00028=2.8×104
1 मोल में कणों की संख्या = 6.023 x 1023
इलेक्ट्रॉन की संहति = 9.1×10-28 gm.
गुणा व भाग-इनमें वही नियम लगाते हैं जो घातांकी संख्या के लिये होता है।
सार्थक अंक किसे कहते हैं ?
उदाहरण –—
(2·3×104)×(3.5×105)= (2.3×3.5)(104+5)=8.05×109
(8.7×10-2)×(3.5×10-“)=(8.7×3:5)(10-2+(-6)) = 30.45×10 8 = 3.045×10-7
2-5×10-3 /4.5×104= (2·5/4·5)(10-3-4)=0·55×10-7=5.5×10-8
योग तथा घटाना:- इनके लिये सबसे पहले संख्या को इस प्रकार लिखते हैं कि उनकी घात समान हो
जाये इसके बाद गुणांकों को जोड़ते या घटाते हैं।
उदाहरण- 4.53×104 तथा 2.95×103 को जोड़ना है, तो पहले दोनों की घातों को समान करेंगे
सार्थक अंक किसे कहते हैं ?
अर्थात्
4.53×104 + 2.95×103 = 4.53×104 +0.295×104
अब इन संख्याओं को निम्नानुसार जोड़ते हैं-
(4.53+0.295)×104=-4.825×104
इसी तरह दो संख्याओं को घटाते हैं-
3.5×10-2-5.8×10-3
(3.5×10-2-0.58×10-2)
=(3.5-0.58)×10-2
= 2.92×10-2
सार्थक अंकों के साथ गणना करना [Calculations with Significant figures (Rounding off)] :—
इन गणनाओं में, गणना में उपयोग में लाये जाने वाले मानों को उत्तर में वांछित सार्थक अंकों की संख्या से एक अधिक अंक तक सीमित (Round-off) करते हैं। उसके पश्चात् सदैव की भाँति ही गणितीय क्रिया की जाती है।
सार्थक अंक किसे कहते हैं ?
आवश्यक अंकों का सार्थक अंक प्राप्त करने लिये अंकों को सीमित करने के लिये निम्नलिखित नियम होते हैं-
(1) आखिरी अंक अपरिवर्तित रहता है यदि उसके बाद का अंक 5 से कम हो ।
उदाहरण – मानलो परिणाम 27-32 आता है तथा सार्थक अंक को दो अंकों तक ही बनाये रखना है। आखिरी अंक जहाँ तक लेना है, 7 है तथा इसके बाद 3 है जो कि 5 से कम है। अतः 7 बिना परिवर्तन के रहेगा तथा अंतिम परिणाम 27 होगा। इसी तरह 4.12 को सीमित कर 4.1 तथा 3.44 को 3.4 लिखेंगे।
(2) आखिरी अंक में एक बढ़ायेंगे यदि उसके बाद वाला अंक 5 से ज्यादा हो।
उदाहरण- यदि परिणाम 27.68 प्राप्त होता है तथा सार्थक अंकों को 3 अंकों तक रखना है अत: अंतिम अंक 6 है तथा 6 के बाद का अंक 8 है, 8 क्योंकि 5 से अधिक है इसलिये 6 से एक अंक आगे बढ़ायेंगे अर्थात् 7। अत: परिणाम 27.7 होगा। इसी तरह 3.18 को 3-2 तथा 4.69 को 4.7 के रूप में सीमित करते हैं।
(3) यदि आखिरी अंक 5 है, तो अंतिम अंक अपरिवर्तित रहेगा जब 5 के पहले की संख्या सम हो तथा एक बढ़ाते हैं यदि संख्या विषम हो।
उदाहरण-यदि परिणाम 26-65 प्राप्त होता है तथा सार्थक अंक तीन अंकों तक ही लेना हो, तो अंतिम परिणाम 26.6 होगा क्योंकि आखिरी अंक सम है। परन्तु 26.75 में यदि 3 अंकों का सार्थक अंक चाहिये तो अंतिम परिणाम 26-8 होगा क्योंकि अंतिम अंक विषम संख्या (7) है और नियमानुसार इसमें एक अंक बढ़ा देते हैं।