लघुगणक को निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर समझाइये|A-लघुगणक की परिभाषा,B-लघुगणक के प्रकार,C- लघुगणक के भाग,D-लघुगणक के नियम(लघुगणक के नियम लिखिए),E-लघुगणक सारणी,F-लघुगणक क्या है
लघुगणक को निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर समझाइये-

A-लघुगणक की परिभाषा:-
” किसी दिये हुए आधार पर किसी संख्या का लघुगणक (log), आधार का वह घातांक है, जिसे आधार पर लगाने से वह संख्या प्राप्त होती है।”
यदि
y=e* हो, तो
loge y= x
इसे y का आधार e पर लघुगणक कहते हैं ।
B-लघुगणक के प्रकार:-
लघुगणक दो प्रकार के होते हैं-
(a) प्राकृतिक या नेपेरियन प्रणाली (Natural or Naperian System) —
इस प्रणाली में लघुगणक का आधार होता है। इसका आंकिक मान 2.7182 के लगभग होता है । इस प्रणाली का सैद्धान्तिक महत्व है तथा यह प्रणाली भौतिकी तथा गणित के सूत्रों में प्रयुक्त होती है ।
(b) सार्व लघुगणक या ब्रिग्स प्रणाली (Common or Briggs System) ———
इस प्रणाली में लघुगणक
का आधार हमेशा 10 होता है । इस प्रणाली का प्रायोगिक उपयोग अधिक है ।
(C) लघुगणक के भाग-
किसी भी संख्या के लघुगणक के दो भाग होते हैं-
(a) पूर्णांश (Characteristic), (b) अपूर्णांश (Mantissa) ।
(a) पूर्णांश (Characteristic) –
पूर्णांश लघुगणक का पूर्ण भाग होता है। यह धनात्मक अथवा ऋणात्मक हो सकता है।
धनात्मक पूर्णांश-
यदि किसी संख्या का मान एक से अधिक है तो उसके लघुगणक का पूर्णांश धनात्मक होता है तथा इसका मान उस संख्या में दशमलव के बायीं ओर के अंकों की संख्या से एक कम होता है।
उदाहरण- 4321 का पूर्णांश 3 होगा ।
432.1 का पूर्णांश 2 होगा ।
43.21 का पूर्णांश 1 होगा ।
4.321 का पूर्णांश 0 होगा ।
ऋणात्मक पूर्णांश-
यदि किसी संख्या का मान एक से कम है तो उसके लघुगणक का पूर्णांश ऋणात्मक होता है तथा उसका मान संख्या में दशमलव के दाहिनी ओर स्थित शून्यों की संख्या से एक अधिक होता है।
उदाहरण-0-4212 का पूर्णांश -1 है तथा इसे 1 (बार वन) लिखा जाता है।
0-04212 का पूर्णांश -2 है तथा इसे 2 (बार टू) लिखा जाता है।
0-004212 का पूर्णांश -3 है तथा इसे 3 (बार थ्री) लिखा जाता है।
RE पाठ (Mantissa)—
(b) अपूर्णांश
अपूर्णांश का मान हमेशा धनात्मक होता है। किसी संख्या के लघुगणक के दशमलव भाग कोअपूर्णांश कहते हैं।
मानलो किन्हीं दो संख्याओं के लघुगणक के मान क्रमश: 2-3010 और 2.4771 हैं। पहले लघुगणक का पूर्णांश 2 तथा अपूर्णांश 0-3010 है तथा ये दोनों धनात्मक हैं। दूसरे लघुगणक का पूर्णांश ऋणात्मक है (2) परन्तु उसके अपूर्णांश (0.4771) का मान धनात्मक है।
D-लघुगणक के नियम(लघुगणक के नियम लिखिए)
पहला नियम –loga mn = loga m + logan
दूसरा नियम:-loga(m/n)=loga m – loga n
तीसरा नियम-loge(mn)-n loga m
चौथा नियम-loge x = 2.303log10 x
l0g10 x = 0.4343loge x.
E-लघुगणक सारणी
लघुगणक सारणी एक तालिका होती है जिसमें गणनाओं के लिए आवश्यक जानकारी और फार्मूले उपलब्ध होते हैं। इसमें विभिन्न गणनाओं के लिए स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय प्रकार की यूनिट्स, सांख्याएँ, और फार्मूले दी जाती हैं, जिनका उपयोग विभिन्न प्रकार की गणनाओं और हिसाब-किताब के लिए किया जा सकता है। ये सारणियां आमतौर पर शैक्षिक और व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोगी होती हैं और गणित कार्यों को सरल बनाने में मदद करती हैं।
