जैविक खेती क्या है।यह टॉपिक नई शिक्षा निति 20 के बीएससी के वोकेशनल विषय जैविक खेती के अंतर्गत आता हैं |जिसमे ऐसी जैविक खादों के बारे में बताया जा रहा हैं जो शीघ्र तैयार किया जाता हैं|
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!जैविक खेती क्या है
(1) अमृत पानी :–
अमृत पानी तैयार करने के लिए एक एकड़ के लिए 10 किलोग्राम गाय का ताजा गोबर, 250 ग्राम नौनी घी, 500 ग्राम शहद और 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है । सर्व प्रथम 200 लीटर के ड्रम में 10 किलोग्राम गाय का ताजा गोबर डाले उसमें 250 ग्राम नौनी घी एवं 500 ग्राम शहद को डालकर अच्छी तरह मिलायें।

इसके पश्चात् ड्रम को पूरा पानी से भर ले और एक लकड़ी की सहायता से घोल को अच्छी तरह मिला दें जब फसल 15 से 20 दिन की हो तब कतार के बीच में 3 से 4 बार प्रयोग करें। इसके प्रयोग के समय मृदा में नमी का होना अतिआवश्यक है। अमृत पानी के प्रयोग के पूर्व 15 किलोग्राम बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी एक एकड़ में समान रूप से बिखर दें।
वोकेशनल कोर्स जैविक खेती-शीघ्र तैयार होने वाली जैविक खाद
(2)मटका खाद :–
मटका खाद तैयार करने के लिए 15 लीटर ताजा गौ-मूत्र, 15 किलोग्राम गाय का गोबर एवं 15 लीटर पानी को एक बड़े मटकें में भरकर उसमें 1/2 किलोग्राम गुड़ मिलायें तथा इसे 4-5 दिन तक सड़ने दे।

इसके पश्चात् इसे 200 लीटर पानी में घोलकर जब फसल 15-20 दिन की हो जावे तब छिड़के। पुन: 7 दिन के अंतर पर 3-4 बार कतारों के बीच प्रयोग करें। प्रयोग करते समय खेत में नमी होना आवश्यक है।
वोकेशनल कोर्स जैविक खेती-शीघ्र तैयार होने वाली जैविक खाद
(3) वर्मी वाश :–
वर्मी वाश तैयार करने के लिये 100 लीटर का ड्रम ले जिसके नीचे टोंटी फिट हो। ड्रम के नीचे वाले भाग में लगभग 6 इंच तक 40 एम.एम. मिट्टी या ईंट के टुकड़े फिर इसके ऊपर 6 इंच तक 20 एम.एम. मिट्टी फिर इसके ऊपर 6 इंच तक बजरी अथवा रेत भरें। इसके ऊपर अधपक्का कचरा डालकर केंचुए छोड़े। ड्रम के मुँह पर एक मटका रखे जिसकी तली में एक छिद्र कर चिंदी लगाये जिससे कि पानी ड्रम में बूंद-बूंद कर गिरता रहे।

पानी गिरने के बाद अधपक्का कचरा नम होगा और केंचुए उसे खायेंगे तथा खाद अनायेंगे। वही खाद पानी की बूंदों में घुलकर टोंटी के माध्यम किसी बर्तन में इकट्ठा करें। टोंटी के द्वारा निकला घोल ही बर्मीवाश कहलाता है।
जिसे एक भाग बर्मीवाश एवं एक भाग पानी मिलाकर जब फसल 15-20 दिन की हो जाये तब 15 दिन के अंतर पर 3-4 बार छिड़काव करें। इससे फसलों की वृद्धि अच्छी होती है। वर्मीवाश में 10 प्रतिशत गौ-मूत्र मिलाने से और भी प्रभावशाली हो जाता है |
वोकेशनल कोर्स जैविक खेती-शीघ्र तैयार होने वाली जैविक खाद
(4) अग्निहोत्र भस्म :–
अग्निहोत्र मंत्र उच्चारण पर्यावरण की शुद्धि की वैदिक पद्धति है। खेत में, गॉव में, घर में तथा शहर में पर्यावरण में स्वच्छता बनाये रखकर सूर्योदय व सूर्यास्त के समय मिट्टी अथवा तांबे के पात्र में गाय के गोबर के कंडे में अग्नि प्रज्जलित कर अखंड अक्षत (बिना टूटे चावल), चावल के 8-10 दानों को गाय के घी में मिलाकर हाथ के अंगूठे, मध्यम व छोटी अंगूली से अग्निहोत्र मंत्र उच्चारण के साथ स्वाहा: शब्द के साथ आहुति दी जाती है ।
अग्निहोत्र मंत्र :- सूर्योदय के समय-
सूर्यास्त के समय-
सूर्याय स्वाहा, सूर्याय इदम् न मम्
प्रजापतये स्वाहा, प्रजापतेय इदम न मम्
अग्नेय स्वाहा, अग्नये इदम् न मम्
प्रजापतये स्वाह, प्रजापतये इदम् न मम्
खेतों पर
अग्निहोत्र मंत्र, पौधों में कीट – व्याधि निरोधकता के साथ भूमि में उपलब्ध पोषण जैव कार्बन ऊर्जा का सक्षम उपयोग कर अधिक उत्पादन हेतु प्रेरित करता है। गोबर खाद, कम्पोस्ट खाद, मऊआ की खली, मूँगफली, विनौले की खली में
निम्नानुसार पोषक तत्व एन.पी.के. होता है
क. | खाद
| एन.
| पी.
| क.
|
1.
| गोबर खाद | 0.5 | 0.25 | 0.5 |
2. | कम्पोस्ट खाद | 1.0 | 0.50 | 3.0 |
3. | मऊआ खली | 2.5 | 1.0 | 1.8 |
4. | मूँगफली खली | 7.0 | 1.5 | 1.5 |
5. | विनौले खली | 7.5 | 2.5 | 1.5 |